शनिवार, 6 मार्च 2010

मुबारक हो तुमको शादी की २२वीं सालगिरह

आज विवाह की २२वीं सालगिरह पर यह कविता है तुम्हें समर्पित,
जिसने अपना यह जीवन मुझको कर दिया है पूर्ण रूप से अर्पित,
मेरी हर सुख सुविधा का ख्याल रक्खा,कष्ट हरा सब मेरा जिसने,
जिसके बिन मेरे जीवन का हर पल लगता ऐसे बीते जैसे हो शापित।
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बाईस वर्ष हुए शादी को, लगता है जैसे कल की बात ,
पत्नी जीवन में लेकर आयी, नए सूरज का सुप्रभात।
सुख दुःख की साथी है मेरी, मुझको आईना दिखलाती है,
गिरता हूँ जब ठोकर खाके , दौड़ के थामती वो मेरा हाथ।
मेरी राह का हर काँटा चुनकर, करती आसान मेरा जीवन,
अपना निज सुख त्याग के,वो हरती मेरे जीवन का संताप।
वो मेरी अर्धांगिनी है और मेरे जीवन को करती पूर्णता प्रदान,
उसके रूप में ईश्वर ने दिया मुझको एक अप्रतिम सा सौगात।
उसको माँगू मैं अपनी दुआ में ईश्वर से नित दिन जोड़े हाथ,
जब तक सांस रहे जीवन में, रहे यूँ ही उसका और मेरा साथ।
-नीहार

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

"मुबारक हो तुमको शादी की २२वीं सालगिरह"

vandana gupta ने कहा…

aapko shadi ki 22vi salvirah ki hardik badhayi.