गुरुवार, 21 अगस्त 2008

विरह व्यथा की अंतहीन कथा



मेरी जान-ऐ-तमन्ना है तुम्हे प्यार मेरा,रात को सोते वक्त हल्का सा दुलार मेरा।

जितने भी दिन दूर रहोगी हिसाब रखूँगा ,एक एक दिन का प्यार रहेगा उधर मेरा।

तुम तो कंघी हो और आइना भी हो मेरा,अपने हाथों से रूप दो तुम संवार मेरा।

तुम्ही से जिंदगी और मौत भी तुमसे ही,तुम्ही से पतझर और तुमसे ही बहार मेरा।

रात दिन तपता हूँ मैं विरह की ज्वाला में,फ़िर भी हूँ जिंदा ये है चमत्कार मेरा।

तुम्हारी याद में कालिदास बना बैठा हूँ,जिस डाल पर बैठा हूँ वहीँ होता प्रहार मेरा।

जिंदगी तो है एक उफनती नदी की माफिक,तुम्ही से नाव है और तुमसे ही पतवार मेरा।

शहर अब शहर सा लगता नही यारब,दिल हो गया है तेरे बिन बिल्कुल ही गंवार मेरा।

जिंदगी बेतरतीब सी हो गयी है देखो,देखो खो गया है न जाने कहाँ वो आधार मेरा।

कवि हूँ इसलिए सिर्फ़ कल्पना में ही जीता हूँ, कल को देख लेना फ़िर कोई शाहकार मेरा।

तुम्ही से कला है और संगीत भी है तुमसे,तुम्ही से रंग है और तुमसे ही है निखार मेरा।

जो चाहता हूँ वह तुम्हे ही लिख देता हूँ, तुम पर तो है पूर्णतया अधिकार मेरा।

रात बहुत हो गयी बाकी बात फ़िर कभी,तब तलक तुमको है प्रिये नमस्कार मेरा।

तेरा था, तेरा है और तेरा ही रहेगा सदा, करता है ये वादा तुझसे ही निहार तेरा।






बुधवार, 20 अगस्त 2008

मधुबन की सुगंध

बदन महक रहा चंदन चंदन,साँसों में तेरा है स्पंदन,
तुझसे महक रही है दुनिया, तुझसे खिला हुआ है जीवन।
तुझको पाकर हुआ निहाल मैं,तुझसे ही फूलों का उपवन,
है आकाश बना मधुशाला,मद ढलकाते तेरे ये दो नयन।
कलरव करते शोर मचाते नाचते गाते बाग़ के चिरियन,
तुझसे ही मैं लेता हूँ साँसे, तुझसे ही दिल में है धरकन।
बरस बरस जाती हैं आँखें, तरस तरस जाता मेरा मन,
जब तुम आती पास हो मेरे,झूम झूम जाता है सावन।



मंगलवार, 12 अगस्त 2008

मन मेरा आवारा बादल,घूमे इधर उधर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
इंतज़ार कर कर के आँखें कब की निचुर गयी,

ह्रदय
की धमनी धरक धरक कर देखो सिकुर गयी,
न चिठिया न कोई पाती, न ही कोई ख़बर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तुम बिन मेरे जीवन में सब कुछ है मुरझाया सा,
रात अगर बेचैन रही तो दिन भी है बौराया सा,
भूल गया हूँ अपनी मंजिल,खोया हुआ डगर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
चीर वनों की मदमाती गंधों ने तुमको याद किया,
झरनों के कल कल निनाद ने तुमसे है फरियाद किया,
तुम बिन जो मेरा है वो ही उनका भी हुआ हसर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
ठंडी मस्त बयारों ने भी कह दिया मुझको मेरा हाल ,
जीव जंतु सब प्राणी की आंखों से झांके यही सवाल,
कौन है वो शमा जिस पर तू जलता रोज़ भ्रमर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
एक तुम ही मेरे हो अपने बाकी सभी पराये हैं,
कुछ उखरे उखरे से हैं,और कुछ कतराए हैं,
रूठी हुयी हवा है तुम बिन,रूठा हुआ शज़र है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तस्वीरों से दिल बहलाता माजी में मैं जीता हूँ,
यादों के धागों से मैं तो चाक जिगर को सीता हूँ,
तुम बिन जीवन सूना सूना, जैसे कोई कहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
अब तो आ जाओ की मेरे जीवन को श्रृंगार मिले,
चिरियों को मीठी तान और फूलों को फ़िर बहार मिले,
तुमसे ही तो शाम है मेरी, और तुमसे ही हुआ सहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते को कह दूँ सजन इधर है.....

सोमवार, 11 अगस्त 2008

झुकी नज़रों में इंतज़ार है मेरा,दिल की धडकनों में खुमार है मेरा।
आपके होठों को चूम मीठा हो जाऊं, क्युंकी हुज़ूर आज रविवार है मेरा।
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तेरी आँख में मैं समंदर देखता हूँ,
तुझे हर वक्त मैं अपने अन्दर देखता हूँ।
तू मेरा खुदा है, तू ही मेरा रहबर है ,
तुझमे मैं जिंदगी का मंजर देखता हूँ।
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रेशमी जुल्फों के साए में चाँद फिर छुपने लगा ,
पाखियों के कलरवों में गीत मैं बुनने लगा
तेरे दिल की धड़कने जो गा रही हैं आज कल,
उन मधुर गीतों को मैं प्रेम से सुनने लगा।
तुम खड़ी हो फूल की डाली बनी इस बाग़ में,
मैं तेरी खुशबु में भींगी फूल फिर चुनने लगा।
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चमक रहा है जो मेरी आँख में, वो तो तेरी तस्वीर है।
तू मेरे साथ है ये मेरी किस्मत है और तकदीर है।
तुझसे जीवन में रौशनी है , तू नही तो दिल मेरा हुआ फ़कीर है।
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

चलो फ़िर वही गीत गुनगुनाया जाए.....





उनकी पलकों पे सूरज को सजाया जाए ,

सुबह आने को है माहौल बनाया जाए।

नींद खुलते ही उनको बड़े प्यार से,

एक प्याला गरम चाय का पिलाया जाए ।

अपनी रूठी किस्मत को मनाने के लिए,

उनको फ़िर अपने पास बुलाया जाए।

जिंदगी बेशकीमती है ये कहते हैं लोग,

उनकी आँख में जिंदगी को पाया जाए।

उंनकी शान में कई गीत लिखे हैं हमने,

आज उनको ही वो गीत सुनाया जाए।

उनकी साँसों में मोगरे की खुशबु है,

उसकी खुशबु में डूब नहाया जाए।

वोह चाँद है , आसमान में रहता है ,

चलो उन्हें ज़मीन पे उतार लाया जाए,

ज़मीन पे आज कल बहुत अँधेरा है,

उनकी रौशनी से ज़मीन को नहाया जाए।

उनके आने से फूलों पे बहार आती है,

बहार लाने के लिए उनको ही बुलाया जाए।

होंठ चुप हैं आँखें नम हैं उनके अब ,

उनको अपने ही दिल में बसाया जाए।

रात हो गई नींद आ रही है उनको ,

चलो कोई मीठी लोरी सुनाई जाए।......

ख़ुद भी सोया जाए और उनको भी सुलाया जाए....

सुबह होते ही फ़िर उनको जगाया जाए......

चिरियों के मधुर तान से सजा कर....

दिन का आगाज़ कराया जाए...प्यार के दो गीत गुनगुनाया जाए....

गुरुवार, 7 अगस्त 2008

तुम दिल की धरकन हो ,मैं तेरा हूँ जीवन


आँख में काजल लगा उनका मुझको देखना,

साँस की खुशबु से उनका मुझको महकाना।

फिर बड़ी मासुमिअत से गीली जुल्फों को,

झटक केर मुझको भिगोना, अच्छा लगता है।

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अगल बगल बैठे हम दोनों करते घंटों प्यारी बात,

पता नही कब दिन है बीता ,बीते है कब काली रात।

बस अरमान दिल में है अपने कट जाए यूँ ही जीवन

मुझमें महके तेरी साँसे, तुझमे मिले मुझको स्पंदन ।

चारो तरफ़ हमारे जानम प्यार ही प्यार पले,

हाथ में दिए हाथ हम एक दूजे के संग चले।

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तू मुझको मैं तुझको देखूं, जीवन यूँ ही कट जाए।

एक दूजे का सुख दुःख जानम, आपस में ही बाँट जाए।

सुख के लंबे दिन हो अपने, दुःख की रात नही आए,

खुशियाँ बरसे आँगन अपने, गम के बादल छाँट जाए।

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तू जो मुस्कुराये तो रूठी बहार आजाये,

तू जो खिलखिलाए तो बजे जलतरंग।

तू जो खोल दे अपनी आँख, तो बिखर जाए सुबह का रंग।

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मैं बारिश की एक बूँद हूँ टूट के बिखर जाऊँगा।

अपने होठों पे सजा लो तो मैं ठहर जाऊँगा।

जो तेरे आँचल से लग जाऊं तो सितारा बनू,

आँख का काजल जो बनू तो निखर जाऊँगा ।

बस गीत लिखता रहूँ ... लिखता रहूँ तेरी खातिर,

और फिर वो ही गीत गा के तुझे मैं सुनाऊंगा।

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बुधवार, 6 अगस्त 2008




तू गुलाब का फूल मैं तेरी खुशबु हूँ जानम,

तू पूनो का चाँद, मैं तेरी छिटकी हुई किरण।

तू है सागर और मैं हूँ उसकी लहर प्रिये,

तू ही बता तेरे बिन अब कैसे कोई जिए।

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मेरे ख्यालों में चाँद उतर आया है,

मेरा प्यार देखो मेरे घर आया है।

सो जाऊं उसकी गोद में सर रख,

ये ख़यालात मेरे जेहन में उभर आया है।

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जिंदगी में तू जबसे आई है,

खुशी ही खुशी मेरे हर तरफ़ छाई ।

मैं आँखें मूँद के भी तुझको देख लेता हूँ,

तू ख्यालों में मेरे लेती सदा अंगडाई है।

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तू मेरा है ये मुझको पता है जानम,

मैं भी हूँ तेरा ये तू भी जानती है।

मैं तेरी धडकनों में बाबस्ता हूँ,

तू मेरे हर आहात को पहचानती है।

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मेरी आफरीन आ तुझे चूम लूँ मैं,

तेरी बाहों के झूले में आ झूम लूँ मैं।

बहुत दिन हुए हमे सितारों की सैर किए,

आ फिर से तेरे संग थोड़ा घूम लूँ मैं.

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तुम्हारी साँसों से मेरी साँसे महक जाती हैं।

तुम्हारी मुस्कान से फूल खिल जाते हैं।

तुम जो प्यार से एक नज़र देखती हो मुझको,

अगल बगल के लोग बिना बात के जल जाते हैं।

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कुछ हवा में घुली खुशबु है तेरी,

कुछ यादों के सिलसिले हैं।

सच कहूँ ऐसा लगता है मुझको,

आप खुदा की नेमत में मिले हैं।

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सोमवार, 4 अगस्त 2008

तुमसे कुछ कहने को दिल चाहता है....

जानम तुम मेरे सीने से लग जाया करो,
मेरी साँसों में बसो, मेरे दिल को धडकाया करो।
मैं बेजान सा हो जाता हूँ तेरे जाने के बाद,
तुम्हें मेरे पहलू से उठ के तो यूँ न जाया करो।
हमारे प्यार को कहीं दुश्मनों की नज़र न लग जाए,
इसलिए रोज़ अपनी आँख में काजल तो लगाया करो।
दिन रात मैं बस तुम्हारे ही लिए गीत रचता हूँ ,
उन् रचे गीतों को दिन रात तुम गुनगुनाया करो।


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वो दिल में मेरे रहता है, मेरा सारा दर्द वो सहता है।
जब भी उसे तकलीफ होती है, चुप चुप आहें भरता है।
वो कह नही पाता है मुझसे ,की प्यार बहुत वो करता है।
वो चाँद मेरे मन आँगन का, हर वक्त वो रोशन रहता है।
वो चंदन की खुशबु बन कर जीवन मेरा महकता है।
वो मेरे दिल में रहता है…*****************************************************************
उतर के आई है धरती पे जैसे कोई हूर,
आँख से निकले जिसके अजब सा नूर।
चेहरा जिसका ग़ज़ल अजंता की,
खुशबु बदन की जगाये है सुरूर।
मैं हेर वक्त उसमे खोया रहता हूँ,
वो होती है पास या रहती है दूर।
उसकी मासुमिअत के क्या कहने,
खरगोश की नाज़ुकी जैसे मशहूर।
वो तो मेरे दिल की धड़कन है ,
वो मेरा स्वाभिमान , वो मेरा गुरुर.
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रविवार, 3 अगस्त 2008


तुम्हारी आँख से काजल चुरा लूँ, आ तुझे तुझसे चुरा लूँ।

तेरे लिए गीत बुनता हूँ हर घड़ी, तू कहे तो साज से सरगम चुरा लूँ।

आ तुझे दिल में छुपा लूँ, आ मैं तुझे तुझको दिखा दूँ...।

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सरसों सी पीली धूप खिली, ठंडी मस्त हवा है चली,

फूल फूल और पत्ते पत्ते पर दिलकश रौशनी है जली ।

सुबह कोयल की कूक सुन मुझे तेरी कमी है खली.

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तेरी नींद उड़ने को जी चाहता है, ख्वाबों में तेरी आने को जी चाहता है।

रात भर तेरे पहलु में बैठ, कुछ गीत गुनगुनाने को जी चाहता

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दिल की चौखट पे एक दीप जला रखना है,

तेरे आने का अरमान सजा रक्खा है।

तेरे जाने से जो धूल सी उठ चली थी ,

मैंने उस धूल को आंखों में बसा रक्खा है।

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आंखों में तेरी तस्वीर सजाये बैठे हैं, दिल में तेरा ख्याल छुपाये बैठे हैं।

आ भी जाओ की देखने को दिल करता है , कई दिनों से पलकें बिछाये बैठे हैं।

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शनिवार, 2 अगस्त 2008

मैरीन ड्राइव पे सैर , अल्लाह करे खैर

आओ मैरीन ड्राइव पे टहलें मेरी जानम ,
बारिश तो है बेशक , पर इनकार ना करना ।
मैं तुम्हे भूल जाऊं ये मुमकिन नहीं ,
तुम भी किसी और से प्यार ना करना।
पांव नाज़ुक है , सड़क ठीक नहीं है ,
पैदल जो चलो तेज़ अपनी रफ्तार ना करना
जब कोई दुःख हो तो दे देना तुम मुझको ,
अपने मन में दुःख का पहाड़ ना करना ।
मुझे कुछ काम नहीं सिवा तुझे याद करने के,
तुम भी मुझे याद करनेके सिवा कुछ काम ना करना।
सूखी हुयी है आँख , ये तो बरसों से नहीं है रोई,
इन् आंखों से आंसुओं की तुम बरसात न करना।
मैं चुपचाप तुम्हारे ख्याल में आऊंगा रात दिन,
तुम भी ख्यालों में मेरे बेआवाज़ ही चलना।
मैं सूरज सा रोशन करूँ दुनिया तेरी हरदम ,
तुम चाँद सा हरदम मेरे जीवन में बने रहना ।