कुछ पल तुम बैठो पास मेरे, और कुछ बातें मुझसे ख़ास करो,
मुझको छूकर मुझको पाकर, तुम मुझको फिर से सुवास करो।
मैं चातक बन कर वर्षों से बैठा, तक रहा तुम्हारी ओर प्रिये,
तुम स्वाति बूँद बन कर बरसो और मेरे दुःख का नाश करो।
मेरा जीवन तो है सूना सूना पतझर पतझर और बियाबान सा ,
तुम आकर मेरे इस सूने जंगल को खिलता हुआ पलाश करो।
मैं दोपहरी सूरज की गर्मी पीकर तपती धरती बन बैठा हूँ अब,
तुम चांदनी बन पारे सी ढलको और मुझको फिर आकाश करो।
मैं कौन हूँ , क्या हूँ,किसका हूँ यह सब भूल गया इस दुनिया में,
बस तेरा हूँ यह जानता हूँ इसलिए तुम खुद में मुझको तलाश करो।
मैंने तुम में है खुद को देखा, और खुद को तुम में ही पाया है जानम,
तुम को समर्पित मन प्राण है मेरा , तुम मुझ पर यह विश्वास करो।
-नीहार
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