जब याद तुम्हारी आती है,तब हम माजी में खो जाते हैं ,
आँखें बंद करके हम फिर , तेरे तसव्वुर से लग सो जाते हैं।
जग जाते हैं तेरी आहट से, तेरी खुशबु से तर हो जाते हैं,
तुम सांस जो लेते हो पास मेरे, हम उस पल को जी जाते हैं।
तुम चलते हो तो चलती रहती है धड़कन मेरे दिल की जानम,
तुम रुक जाते हो तो फिर हम चाह कर भी सांस नहीं ले पाते हैं।
जब मौसम रूठ के गर्म हुआ और पतझर की रुत आ सी गयी,
तेरे आने से ऐसे बेरुखे मौसम में भी फूल ही फूल खिल जाते हैं।
जब जब सर्द हवा का झोंका आ कर हमको तेरी याद दिलाता है ,
हम चिरियों के संग मिल बैठे , फिर तेरे ही गीत गुनगुनाते हैं।
बस धुन रहती है मुझको तेरी, बस तेरी याद में खोये रहते हैं,
बस तेरे नाम की माला जपते और इश्वर को तेरा नाम सुनते हैं।
- नीहार
1 टिप्पणी:
,आँखें बंद करके हम फिर , तेरे तसव्वुर से लग सो जाते हैं।जग जाते हैं तेरी आहट से, तेरी खुशबु से तर हो जाते हैं,तुम सांस जो लेते हो पास मेरे, हम उस पल को जी जाते हैं।तुम चलते हो तो चलती रहती है धड़कन मेरे दिल की जानम,तुम रुक जाते हो तो फिर हम चाह कर भी सांस नहीं ले पाते हैं
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
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