मंगलवार, 9 दिसंबर 2008


आँख से जो टपका वो लहू रहा होगा,कतरा कतरा दिल से निकल बहा होगा।
जब दर्द बहुत हुआ होगा हमको, उसने अपनी भीगी पलकों से हमें छुआ होगा।
दूर और दूर कहीं शब् के सन्नाटे में, उसने तकिये को अपनी बाहों में लिया होगा।
याद में मेरी जो भर आयी होंगी आँखें, उन आंसुओं को चुपचाप उसने पिया होगा।
चाँद जब रात को बादलों से निकला होगा,उसने यादों की चादर ओढ़ लिया होगा।
मैं हूँ ,यहीं हूँ और पास ही हूँ उसके, अपने दिल को ये तसल्ली उसने दे दिया होगा।
उसकी रातें कभी वीरान नही होती, उसने ख़ुद को मेरी खुशबु में भिगो दिया होगा।
शज़र उदास होंगे मगर चिरिया नही गुमसुम,मेरे गीत उनको उसने सुना दिया होगा.....
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दर्द की बात नही करता हूँ
मैं दवा बन के उभरता हूँ।
आँख में काजल सा तेरे ,
सुबह शाम मैं संवारता हूँ।
होठों पे अश्क बन फिसलता हूँ,
फ़िर मोतियों सा मैं बिखरता हूँ।
गालों पे तेरे गुलाब की रंगत,
बादलों सा तेरी जुल्फों में उतरता हूँ...
तेरी आंखों से चुरा काजल की लकीर,
रात बन कर मैं ख़ुद ही निखरता हूँ।
तू समंदर की शोखी ले मचलती है,
मैं दरिया हूँ,तुझमे उतरता जाता हूँ....

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

कोई तो गीत गाओ की अब चैन पड़े

कोई तो गीत गाओ की अब चैन पड़े,
कोई धुन गुनगुनाओ की अब चैन पड़े.
रास्ते से गुजर नहीं ,राह भी आसान नहीं ,
तुम साथ आओ में तो फिर अब चैन पड़े।
वो झुकी नज़र में तेरे प्यार की खुमारी थी,
उस एहसास को फ़िर ले आओ की अब चैन पड़े।
मुद्दतें हुयी हैं तुम को जी भर के देखे हुए ,
फ़िर आ के दरस दिखाओ की अब चैन पड़े।
वो मेरी साँसों में छुपी खुशबु तेरे प्यार की,
उस खुशबु से मुझे नहलाओ की अब चैन पड़े
खुदा की तलाश में घुमते हैं दर-बा-दर ,
कभी आके मुझे मिल भी जाओ की अब चैन पड़े।

कोई तो गीत गाओ की अब चैन पड़े

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

तुझको छू कर जो आती हवा

गुन गुन गुन गुन गाती हवा, कानो में कुछ कह जाती हवा।
तेरी खुशबु तुझ से ही चुरा, फिर उसको मुझ तक ले आती हवा।
हर फूल में हर पत्ते पत्ते में,मुझको तेरी झलक दिखलाती हवा।
मैं खो जाता हूँ यादों में तेरी,तुझमे मेरी याद लिए खो जाती हवा।
जो दिल पे चोट के निसान बने,उनपे मलहम सा बन जाती हवा।
मैं साँसे जो ले लेता हूँ कभी, उनमें तेरी खुशबु ले आती है हवा।
हर पल हर दम तेरी यादों से ,भीतर तक मुझको नहलाती हवा।
ये हवा बनी मेरी खातिर , मेरे हर मर्ज़ की बनी है यही दवा।
तुझको छू कर जो आती हवा,मुझको जीवन वो दे जाती हवा।

रविवार, 30 नवंबर 2008

तुम्हारे साथ के दो पल

आँखें हैं छल छल,चाहें तुम्हारे साथ के दो पल,
यादों के सिलसिले हैं देखो आए दल बदल।
मुस्कुराना चाहे फितरत ही रही आंखों की मेरी,
किसने देखा उनके अन्दर है भरा कितना ही जल।
मैंने बस यादों में तेरी ही तस्वीर को है घर दिया,
कोई भी तूफ़ान इनको कर ना पाया है बेदखल।
दिल मेरा गाता रहा है गीत तेरे प्यार का हरवक्त,
भ्रमर से लेता रहा वो प्यार की हर धुन सरल।
मैं मुसाफिर तुम मुसाफिर और रास्ते चलते गए,
पांव के छाले भी देखो खिल गए हैं ज्यूँ कमल।
नीहार की दुनिया में बस हर तरफ़ है तेरा ज़माल,
दिल में तेरे ख्यालों से है मची जीवन की हलचल।









रविवार, 23 नवंबर 2008

बुझी बुझी सी रात है ,खोया खोया सा चाँद,
टूट कर बिखरने लगा है मेरे सब्र का हर बाँध।
बादलों में छिप कर क्यूँ नही खेलते हो मुझसे,
हवाओं के परों पे ,क्यूँ नही मुझको हो झुलाते,
न हँसते हो दिन को, न रात तुम हो मुस्काते,
आज कल तुम मेरे गीत क्यूँ नही हो गाते,
सुरह हुआ है मद्धम, ढलने लगी है सांझ.....
बुझी बुझी सी रात है, खोया हुआ है चाँद....

मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

Deepawali ki Shubhkaamnayen


Jalaao diye per rahe dhyaan itna,

andhera dhara per kahin reh na jaaye...

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बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

मैंने उसकी जुल्फ में जो उँगलियाँ फेरीं,हाथ खुशबु में मेरे देर तक महकते रहे,
उसकी पलकों को जो चूमा मैंने ऐ दोस्त,हम बिना पिए ही देर तक बहकते रहे।
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उनको अगर भूल जाने को कहोगे मुझसे,तो भला क्यूँ न मैं खुदा को भूलूं,
जी चाहता है हेर वक्त ऐ दोस्त मैं,सिर्फ़ और सिर्फ़ उंनकी यादों में झूलूं।
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रात पलकों पे सितारे सा सजाया उनको,और फिर देर तक उस रौशनी में नहा आए,
जब कहीं लगा की वो दूर हो गए हमसे, हम हवा की तरह जा कर उन्हें छू आए।
उंनके छूने से जी गए पल भर हम , और रात आंखों में सपनो की बारात आयी,
उनके सिरहाने जो फूल रक्खे थे हमने, देर तक उन् फूलों की हमें खुशबु आयी।
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मुझे तुम याद आते हो...
सुबह जब रौशनी छन कर फूलों पे बरसती है,
सुबह ओस की बूंदों में एक शबनम तरपती है,
सुबह जब चिरियों के गले से एक विरह के गीत सुनता हूँ,
मैं अपनी धरकनो में उस वक्त तुम्हारे ख्वाब बुनता हूँ...
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो॥
दिन की तपती धूप जब मुझको सहलाती है,
बहती हुयी पुरवाई जब मुझे सहलाती है,
किसी पायल की खन खन से जब मुझे कोई बुलाता है,
मधुर संगीत की धुन पर कोई गीत गाता है,
मुझे तुम याद आते हो...अक्सर याद आते हो।
शाम में जब कोई चिरागों को जलाता है,
दिन के थके पखेरुओं को जब कोई लोरी सुनाता है,
जब किसी घुंघरू की खनक से मन को दुलराता है,
चांदनी में गूँथ के कोई तेरी खुशबु ले आता है,
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो...

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

प्रेम कहानी बुन लूँ

कुछ अपनी सुनाऊ मैं ,कुछ तेरी आ सुन लूँ ।
सपने जो बिखरे हैं उनको,पलकों से आ चुन लूँ।
गीत मधुर गाते हैं हम जो लिखते रहते हैं तुम पर,
धरकन से तेरी मैं आ फ़िर कोई नई नवेली धुन लूँ।
रिमझिम रिमझिम सावन रुत में मन खोजे सजन को,
खुली आँख से सपने देखूं , और एक प्रेम कहानी बुन लूँ।

रविवार, 28 सितंबर 2008

मुझपे छाया हुआ तेरा नूर-ऐ-जमाल है

हवाओं से हर वक्त हम तेरा पता पूछते हैं ,
फूलों में हरदम हम तेरी महक ढूंढते हैं।
जो बजती है मन्दिर में घंटियाँ सुबह को,
हम उनमे तेरी चूरियों की खनक ढूंढते हैं।
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अपनी साँसों में बसा कर तुझको,
खुदको मैंने एक नई जिंदगी दी है।
सच कहता हूँ तुझे प्यार कर के मैंने,
सच्चे दिल से खुदा की बंदगी की है।
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हमारा प्यार एक दरिया है,जो दूर तक बस बहता ही जायेगा।
जब बहुत दूर तक वह जायेगा , तो फ़िर समंदर में उतर जायेगा।
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हमारा प्यार चंदन का पेर है जो, सबको पवित्र कर जायेगा,
काटने वाले को भी वह,अपनी खुशबु से खूब मेह्कायेगा।
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चुरा लाया हूँ ख़ुद को मैं, पर अपना साया छोर आया हूँ,
तेरी आंखों के समन्दर में मैं अपना चेहरा छोर आया हूँ।
सजा ले मुझको अपनी जुल्फों में,या रख ले दिल की किताब में,
मैं तेरे हाथों में ऐ जान-ऐ-अदा अपने दिल का गुलाब छोर आया हूँ।
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जो तेरा दीदार हो जाए, तो मेरे दिल को करार हो जाए,
तुझ को देखे एक नज़र तो फ़िर,बेचारा चाँद शर्मशार हो जाए।
मेरे चेहरे पे हो तेरी जुल्फ का साया,और तीरगी खुशगवार हो जाए...
चलो फ़िर प्यार हो जाए....चलो फ़िर प्यार हो जाए...
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कुछ दूर हमारे साथ चलो,हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आँखों से,वो बात ज़ुबानी कह देंगे,
फूलों की तरह जब होंठों पे, एक शोख तबस्सुम बिखरेगा,
चुपके से तुम्हारे कानो में, हम हर बात पुरानी कह देंगे।
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मेरी रगों में खून की जगह तेरा खयाल है,
मैं आदमी हूँ या क्या हूँ,ये उठता सवाल है।
हर तरफ़ अँधेरा है, पर मैं सिर्फ़ रौशनी में हूँ,
मुझपे छाया हुआ आपका ये नूर-ऐ-जमाल है।
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शनिवार, 27 सितंबर 2008

नींद को आँख में उतर जाने दो, याद को ख्वाब बन बिखर जाने दो।
खुशबु बन हर वक्त साँसों में महको तुम, गीत बन धड़कनों में बिखर जाने दो।
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आँख में मोती पिरो के रखते हो, मेरी यादों से टूट बिखर जायेगा।
ये मौसम है प्यार का मौसम, यूँ ही ये प्यार में गुजर जायेगा।
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खुदा का जिक्र जब भी आएगा, तू मेरे तस्सवुर में उतर आएगा।
मेरे चेहरे पे तुम जो नज़र डालोगे, वो तुम्हें आईना नज़र आएगा।
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महकी रहे तू सदा चंदन चंदन सी, दिल में मेरे तू रहे सदा बन के स्पंदन सी।
आँख सदा तुझसे मांगे रौशनी की भीख, मुझमें तू हरदम रहे बनके जीवन सी।
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बुधवार, 24 सितंबर 2008

तुम्हारी याद को दिल से लगा के रक्खा है,

हमने तुम्हे कबसे अपना बना के रक्खा है।

वो सुबह उठ के नहा के चले जाते हैं ऑफिस,

हमने सुबह उठ के उनकी इबादत को अपना ईमान बना रक्खा है।

शनिवार, 13 सितंबर 2008

जब जब तुम गुनगुनाना चाहो, में लफ्ज़ बन तेरे होँठों पे उतर जाऊँगा,
जब भी तुम कोई ख्वाब देखोगे सनम, उसमें मैं ही मैं नज़र आऊंगा,
तू मुझे अपनी धरकनों में पाएगी, में तुझे अपनी धरकनों में पाऊंगा।
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अपने होठों से चूम कर ईनाम दो मुझको, कजरारे आँखों से तुम थाम लो

तुम्ही ने सिखलाया है प्यार का मतलब, प्यार का हर पल तुम जाम दो मुझको।

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मेरे करीब आओ की तुम्हे चूम लूँ, हाथों में तेरे हाथ लिए कुछ देर घूम लूँ।

तुम ताज़ी हवा का झोंका हो, आ भी जाओ की तेरी खुशबु में कुछ पल झूम लूँ।

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उतर रही है आसमा से चांदनी धीरे धीरे, गूंज रही है प्यार की रागिनी धीरे धीरे।

आपकी आँख में नींद का बुलावा है, छा रही है देखो हर ओर यामिनी धीरे धीरे।

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चंचल चंचल तेरे दो चितवन, कारे कारे हैं उनमें अंजन।

कोमल कोमल रस भरे अधर, संगमरमर सा है गुदाज़ बदन।

आवाज़ तेरी जैसे है जलतरंग, साँसे तेरी महके जैसे चन्दन।

मुझको दीवाना कर देती है मुझको ,तेरे दिल में मेरी धड़कन।

तुम एक नज़र जो देखे हमको, हो जाए सफल मेरा जीवन।

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तेरे लबों के मुकाबिल कोई गुलाब नहीं, तू लाजवाब है तेरा कोई जवाब नहीं।

मैं तो हर वक़्त तेरी आँखों से पीता हूँ, है इन से बढ़ कर कोई शराब नहीं।

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निगाहें बचा कर तुम मुझे अपनी किताब देना,

किताब में छुपा कर तुम मेरे ख़त का जवाब देना ।

तुम अगर लिख न पाओ कुछ तो कोई बात नहीं,
कागज़ के बदले तुम उसमें मुझको गुलाब देना।

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गुरुवार, 4 सितंबर 2008

चीरा चिरी संवाद

मैं तुम्हारे लिए खुदा से क्या मांगता हूँ, तुम्हारी सलामती की दुआ मांगता हूँ।
अगर अनजाने में तुमसे खता हो जाए, तो ख़ुद के लिए उसकीं सज़ा मांगता हूँ।
मैं जानता हूँ की तुम नही हो मेरे, पर मैं हमेशा खुदा से तेरा साथ मांगता हूँ।
हर रोज़ अपनी दुआओं में मैं यारब , खुदा से हर जनम तेरा हाथ मांगता हूँ।
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सुबह चिड़ा चिड़ी को उठा रहा अधिकार से ,कहके गुड मोर्निंग उसकी पलकें चूमे प्यार से ,
फिर चिड़ा चिड़ी को पिला रहा है चाय, चिड़ी प्यार से कहती उसको “हाए”।
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चिड़ा बोले चिड़ी से गुड नाइत मेरी जान, आओ तुझको प्यार कर दूर करूँ थकान।
चिड़ी बोले चिड़ा से गुड नाइत मेरे प्यार, तुमसे मेरी ज़िन्दगी में आए है बहार।
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चिरा बोले चिड़ी से चलो चाँद के पार, वहां करेंगे जाकर हम ढेर सारा प्यार।
चिड़ी बोले चिड़ा से हम भी हैं तैयार, आके अपनी बाँहों में ले लो तुम दिलदार।
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चिड़ा बोले चिड़ी से आ तुझको प्यार करूँ, फूलों से तारों से तेरा श्रृंगार करूँ।
चिरि बोले चिड़ा से मैं तेरा इंतज़ार करूँ, जो तू आजाये तो बाँहों का हार करूँ।
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चिड़ी बोले चिड़ा से तुझबिन मैं उदास,मिल जाती खुशिया जो तुम होते मेरे पास।
चिड़ा बोले चिड़ी से मैं हूँ तेरे पास, धड़का दूँ तेरे दिल को महका दूँ तेरी मैं स्वास।
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चिड़ा बोले चिरि से तू है मेरी जान, तू फूलों की खुशबु तू कोयल की तान।
चिड़ी बोले चिड़ा से तू है दिल की धड़कन, तू ही है मेरी आत्मा, तू मेरा पावन मन।
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चिड़ी बोले चिड़ा से तू मेरा श्रृंगार, तू सतरुंगे सपने तू फूलों की बहार।
चिड़ा बोले चिड़ी से तुम सावन की फुहार, तुम सर्दी की धुप तुम गर्मी की सर्द बयार।
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चिड़ा बोले चिड़ी से, तू है बड़ी अनूप, तू है मेरे जीवन की सुबह सुबह की धुप।
चिड़ी बोले चिड़ा से तू है मस्त मलंग, तुझसे मेरे जीवन में छाया है हेर रंग।
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बुधवार, 3 सितंबर 2008

सुबह सुबह हम ये काम करते हैं, अपने प्यार को सलाम करते हैं।
उनकी आंखों में डूब जाते हैं, और उनके होठों से जाम लेते हैं।
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सुबह सुबह मैं तेरे ख्यालों में रम जाता हूँ,
सुबह सुबह तेरे मतवारे आँखों में गुम जाता हूँ।
मैं तेरा हूँ और तेरा ही रहूँगा हर वक्त,
सुबह सुबह मैं ये कसम खाता हूँ।
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जी चाहता है तुझे मैं अपने सामने बिठाऊँ ,तेरी होठों की रंगत अपने होठों से चुराऊँ।
तेरी आंखों में मैं रौशनी सा झिल्मिलाऊं, तुझमें यूँ मैं ख़ुदको पाऊं ,
ख़ुद में मैं तुझको ही पाऊं ॥
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हर तरफ़ तेरा उजाला, हर तरफ़ तेरा सुरूर।
तू ही मेरी मोहब्बत, तू ही है मेरा गुरूर।
तुझे भी मुझसे लगी है लगन तो फिर,
एक बार पलकें मिला मुस्कुराइए हुजुर।
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खिली धुप में खिला हो चेहरा, खिले चेहरे पे खिली मुस्कान,
खिली मुस्कान से सजे होठों पे, सुबह सुबह आए मेरा नाम।
उस नाम का आपको सुबह सुबह सलाम..........
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अपनी निगाहों से सवेरा कर दे, मेरी वीरानियों का दूर अँधेरा कर दे।
मेरी दुनिया बहुत वीरान सी है, तू उसको अपनी मुस्कुराहटों के फूल से भर दे.
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जब रात अकेले चाँद के संग हम हवा के पर पे उड़ते हैं।
तब तेरी यादों के संग संग हम देर रात तक तिरते ।
तू पास नही होती फिर भी, तेरी तस्वीर लिए हम फिरते हैं।
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कभी ख़्वाबों की तरह आँख के परदे में रहो,
कभी ख्वाहिश की तरह दिल में बुलाएं तुझको,
है तुम्हारे लिए कुछ ऐसी मोहब्बत दिल में,
किखुद को भूल जाएँ और फिर पायें तुझको।
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हमारे पास कुछ भी नहीं तेरी यादों के सिवा,
हमें उनसे लिपट यूँ ही जिंदगी बिताने दे।
मुझे अच्छी लगती है तेरी जुल्फों की घनी छाओं,
कुछ पल तो मुझे उनकी छाओं में ठहर जाने दे,
जिंदगी यूँ ही गुज़र जाने दे...मुजको अपनी खुशबु में तेर हो जाने दे,
हर पल मुझे यूँ ही संवर जाने दे.....
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मंगलवार, 2 सितंबर 2008

तेरा ख्याल चाँद रात और नींद


कैसे कैसे ख्वाब दिखाए मुझको तेरी आंखों ने,
चेहरे पे है आब निखरे मुझको तेरी आंखों ने।
मेरी आँख बड़ी सूनी है तुम बिन ‘ओ मेरी सजनी,
बनाये सुंदर कजरारे उनको तेरी आंखों ने।
जब जब मन मेरा उदास हो जाता है तुझ बिन,
यादों की बारिश कर जाए मुझ पे तेरी आंखों ने।
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आपकी आँखें बहुत खूबसूरत हैं, काजल उसमें रोज़ लगाया कीजिये।
अपनी पेशानी पे मेरे प्यार का सूरज चमकते बिंदी सा सजाया कीजिये।
आपके होंठ बहुत नाज़ुक हैं जानम ,शबनमी बूंदों से उन्हें नहलाया कीजिये।
जब भी मेरी याद बेचैन करे आपको, पलकें बूंद कर मुझको पाया कीजिये।
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अपनी जुल्फों को सितारों के हवाले कर दो,
अपनी मुस्कराहट बहारों के हवाले कर दो।
आपकी दोनों पलकें नींद में डूबने लगी हैं,
उन्हें तुम मेरे इशारों के हवाले कर दो।
थक गए हो चलो सो जाएँ ham दोनों ,
मुझसे लिपट ख़ुद को नींद के हवाले कर दो।
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रात को तोहफा-ऐ-रात नही देते,
दिल को तोहफा-ऐ-ज़ज्बात नही देते।
वैसे तो आपके लिए चाँद भी ला देता
पर “चाँद” को तोहफा-ऐ-चाँद नही देते।
जिसे एक बार अपना दिल दे दिया,
उसे कभी फ़िर दर्द-ऐ-दिल नही देते।
जो ख़ुद ही खुदा हो गया हो आज कल ,
कभी उसे खुदा का कोई पैगाम नही देते।
जो आँख में काजल की तरह बस जाता है ,
उसे कभी भी तोहफा-ऐ-शाम नही देते।
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मेरे गीतों को तुम जो गा दो, गीत अमर हो जायेगा।
तुम फूल बन खुशबु बिखेरो, मेरा दिल भ्रमर हो जायेगा ।
तुमको देख तस्वीर बना लूँ , ऐसा हो जाए जिस दिन,
वो पल वहीँ रुक जायेगा और अमर हो जायेगा।
मेरे दिल की धड़कन सुन लो मेरी प्राण प्रिये,
जो गाओगे गीत तुम, वह मेरा स्वर हो जायेगा.

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

विरह व्यथा की अंतहीन कथा



मेरी जान-ऐ-तमन्ना है तुम्हे प्यार मेरा,रात को सोते वक्त हल्का सा दुलार मेरा।

जितने भी दिन दूर रहोगी हिसाब रखूँगा ,एक एक दिन का प्यार रहेगा उधर मेरा।

तुम तो कंघी हो और आइना भी हो मेरा,अपने हाथों से रूप दो तुम संवार मेरा।

तुम्ही से जिंदगी और मौत भी तुमसे ही,तुम्ही से पतझर और तुमसे ही बहार मेरा।

रात दिन तपता हूँ मैं विरह की ज्वाला में,फ़िर भी हूँ जिंदा ये है चमत्कार मेरा।

तुम्हारी याद में कालिदास बना बैठा हूँ,जिस डाल पर बैठा हूँ वहीँ होता प्रहार मेरा।

जिंदगी तो है एक उफनती नदी की माफिक,तुम्ही से नाव है और तुमसे ही पतवार मेरा।

शहर अब शहर सा लगता नही यारब,दिल हो गया है तेरे बिन बिल्कुल ही गंवार मेरा।

जिंदगी बेतरतीब सी हो गयी है देखो,देखो खो गया है न जाने कहाँ वो आधार मेरा।

कवि हूँ इसलिए सिर्फ़ कल्पना में ही जीता हूँ, कल को देख लेना फ़िर कोई शाहकार मेरा।

तुम्ही से कला है और संगीत भी है तुमसे,तुम्ही से रंग है और तुमसे ही है निखार मेरा।

जो चाहता हूँ वह तुम्हे ही लिख देता हूँ, तुम पर तो है पूर्णतया अधिकार मेरा।

रात बहुत हो गयी बाकी बात फ़िर कभी,तब तलक तुमको है प्रिये नमस्कार मेरा।

तेरा था, तेरा है और तेरा ही रहेगा सदा, करता है ये वादा तुझसे ही निहार तेरा।






बुधवार, 20 अगस्त 2008

मधुबन की सुगंध

बदन महक रहा चंदन चंदन,साँसों में तेरा है स्पंदन,
तुझसे महक रही है दुनिया, तुझसे खिला हुआ है जीवन।
तुझको पाकर हुआ निहाल मैं,तुझसे ही फूलों का उपवन,
है आकाश बना मधुशाला,मद ढलकाते तेरे ये दो नयन।
कलरव करते शोर मचाते नाचते गाते बाग़ के चिरियन,
तुझसे ही मैं लेता हूँ साँसे, तुझसे ही दिल में है धरकन।
बरस बरस जाती हैं आँखें, तरस तरस जाता मेरा मन,
जब तुम आती पास हो मेरे,झूम झूम जाता है सावन।



मंगलवार, 12 अगस्त 2008

मन मेरा आवारा बादल,घूमे इधर उधर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
इंतज़ार कर कर के आँखें कब की निचुर गयी,

ह्रदय
की धमनी धरक धरक कर देखो सिकुर गयी,
न चिठिया न कोई पाती, न ही कोई ख़बर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तुम बिन मेरे जीवन में सब कुछ है मुरझाया सा,
रात अगर बेचैन रही तो दिन भी है बौराया सा,
भूल गया हूँ अपनी मंजिल,खोया हुआ डगर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
चीर वनों की मदमाती गंधों ने तुमको याद किया,
झरनों के कल कल निनाद ने तुमसे है फरियाद किया,
तुम बिन जो मेरा है वो ही उनका भी हुआ हसर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
ठंडी मस्त बयारों ने भी कह दिया मुझको मेरा हाल ,
जीव जंतु सब प्राणी की आंखों से झांके यही सवाल,
कौन है वो शमा जिस पर तू जलता रोज़ भ्रमर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
एक तुम ही मेरे हो अपने बाकी सभी पराये हैं,
कुछ उखरे उखरे से हैं,और कुछ कतराए हैं,
रूठी हुयी हवा है तुम बिन,रूठा हुआ शज़र है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तस्वीरों से दिल बहलाता माजी में मैं जीता हूँ,
यादों के धागों से मैं तो चाक जिगर को सीता हूँ,
तुम बिन जीवन सूना सूना, जैसे कोई कहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
अब तो आ जाओ की मेरे जीवन को श्रृंगार मिले,
चिरियों को मीठी तान और फूलों को फ़िर बहार मिले,
तुमसे ही तो शाम है मेरी, और तुमसे ही हुआ सहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते को कह दूँ सजन इधर है.....

सोमवार, 11 अगस्त 2008

झुकी नज़रों में इंतज़ार है मेरा,दिल की धडकनों में खुमार है मेरा।
आपके होठों को चूम मीठा हो जाऊं, क्युंकी हुज़ूर आज रविवार है मेरा।
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तेरी आँख में मैं समंदर देखता हूँ,
तुझे हर वक्त मैं अपने अन्दर देखता हूँ।
तू मेरा खुदा है, तू ही मेरा रहबर है ,
तुझमे मैं जिंदगी का मंजर देखता हूँ।
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रेशमी जुल्फों के साए में चाँद फिर छुपने लगा ,
पाखियों के कलरवों में गीत मैं बुनने लगा
तेरे दिल की धड़कने जो गा रही हैं आज कल,
उन मधुर गीतों को मैं प्रेम से सुनने लगा।
तुम खड़ी हो फूल की डाली बनी इस बाग़ में,
मैं तेरी खुशबु में भींगी फूल फिर चुनने लगा।
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चमक रहा है जो मेरी आँख में, वो तो तेरी तस्वीर है।
तू मेरे साथ है ये मेरी किस्मत है और तकदीर है।
तुझसे जीवन में रौशनी है , तू नही तो दिल मेरा हुआ फ़कीर है।
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

चलो फ़िर वही गीत गुनगुनाया जाए.....





उनकी पलकों पे सूरज को सजाया जाए ,

सुबह आने को है माहौल बनाया जाए।

नींद खुलते ही उनको बड़े प्यार से,

एक प्याला गरम चाय का पिलाया जाए ।

अपनी रूठी किस्मत को मनाने के लिए,

उनको फ़िर अपने पास बुलाया जाए।

जिंदगी बेशकीमती है ये कहते हैं लोग,

उनकी आँख में जिंदगी को पाया जाए।

उंनकी शान में कई गीत लिखे हैं हमने,

आज उनको ही वो गीत सुनाया जाए।

उनकी साँसों में मोगरे की खुशबु है,

उसकी खुशबु में डूब नहाया जाए।

वोह चाँद है , आसमान में रहता है ,

चलो उन्हें ज़मीन पे उतार लाया जाए,

ज़मीन पे आज कल बहुत अँधेरा है,

उनकी रौशनी से ज़मीन को नहाया जाए।

उनके आने से फूलों पे बहार आती है,

बहार लाने के लिए उनको ही बुलाया जाए।

होंठ चुप हैं आँखें नम हैं उनके अब ,

उनको अपने ही दिल में बसाया जाए।

रात हो गई नींद आ रही है उनको ,

चलो कोई मीठी लोरी सुनाई जाए।......

ख़ुद भी सोया जाए और उनको भी सुलाया जाए....

सुबह होते ही फ़िर उनको जगाया जाए......

चिरियों के मधुर तान से सजा कर....

दिन का आगाज़ कराया जाए...प्यार के दो गीत गुनगुनाया जाए....

गुरुवार, 7 अगस्त 2008

तुम दिल की धरकन हो ,मैं तेरा हूँ जीवन


आँख में काजल लगा उनका मुझको देखना,

साँस की खुशबु से उनका मुझको महकाना।

फिर बड़ी मासुमिअत से गीली जुल्फों को,

झटक केर मुझको भिगोना, अच्छा लगता है।

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अगल बगल बैठे हम दोनों करते घंटों प्यारी बात,

पता नही कब दिन है बीता ,बीते है कब काली रात।

बस अरमान दिल में है अपने कट जाए यूँ ही जीवन

मुझमें महके तेरी साँसे, तुझमे मिले मुझको स्पंदन ।

चारो तरफ़ हमारे जानम प्यार ही प्यार पले,

हाथ में दिए हाथ हम एक दूजे के संग चले।

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तू मुझको मैं तुझको देखूं, जीवन यूँ ही कट जाए।

एक दूजे का सुख दुःख जानम, आपस में ही बाँट जाए।

सुख के लंबे दिन हो अपने, दुःख की रात नही आए,

खुशियाँ बरसे आँगन अपने, गम के बादल छाँट जाए।

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तू जो मुस्कुराये तो रूठी बहार आजाये,

तू जो खिलखिलाए तो बजे जलतरंग।

तू जो खोल दे अपनी आँख, तो बिखर जाए सुबह का रंग।

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मैं बारिश की एक बूँद हूँ टूट के बिखर जाऊँगा।

अपने होठों पे सजा लो तो मैं ठहर जाऊँगा।

जो तेरे आँचल से लग जाऊं तो सितारा बनू,

आँख का काजल जो बनू तो निखर जाऊँगा ।

बस गीत लिखता रहूँ ... लिखता रहूँ तेरी खातिर,

और फिर वो ही गीत गा के तुझे मैं सुनाऊंगा।

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बुधवार, 6 अगस्त 2008




तू गुलाब का फूल मैं तेरी खुशबु हूँ जानम,

तू पूनो का चाँद, मैं तेरी छिटकी हुई किरण।

तू है सागर और मैं हूँ उसकी लहर प्रिये,

तू ही बता तेरे बिन अब कैसे कोई जिए।

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मेरे ख्यालों में चाँद उतर आया है,

मेरा प्यार देखो मेरे घर आया है।

सो जाऊं उसकी गोद में सर रख,

ये ख़यालात मेरे जेहन में उभर आया है।

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जिंदगी में तू जबसे आई है,

खुशी ही खुशी मेरे हर तरफ़ छाई ।

मैं आँखें मूँद के भी तुझको देख लेता हूँ,

तू ख्यालों में मेरे लेती सदा अंगडाई है।

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तू मेरा है ये मुझको पता है जानम,

मैं भी हूँ तेरा ये तू भी जानती है।

मैं तेरी धडकनों में बाबस्ता हूँ,

तू मेरे हर आहात को पहचानती है।

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मेरी आफरीन आ तुझे चूम लूँ मैं,

तेरी बाहों के झूले में आ झूम लूँ मैं।

बहुत दिन हुए हमे सितारों की सैर किए,

आ फिर से तेरे संग थोड़ा घूम लूँ मैं.

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तुम्हारी साँसों से मेरी साँसे महक जाती हैं।

तुम्हारी मुस्कान से फूल खिल जाते हैं।

तुम जो प्यार से एक नज़र देखती हो मुझको,

अगल बगल के लोग बिना बात के जल जाते हैं।

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कुछ हवा में घुली खुशबु है तेरी,

कुछ यादों के सिलसिले हैं।

सच कहूँ ऐसा लगता है मुझको,

आप खुदा की नेमत में मिले हैं।

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सोमवार, 4 अगस्त 2008

तुमसे कुछ कहने को दिल चाहता है....

जानम तुम मेरे सीने से लग जाया करो,
मेरी साँसों में बसो, मेरे दिल को धडकाया करो।
मैं बेजान सा हो जाता हूँ तेरे जाने के बाद,
तुम्हें मेरे पहलू से उठ के तो यूँ न जाया करो।
हमारे प्यार को कहीं दुश्मनों की नज़र न लग जाए,
इसलिए रोज़ अपनी आँख में काजल तो लगाया करो।
दिन रात मैं बस तुम्हारे ही लिए गीत रचता हूँ ,
उन् रचे गीतों को दिन रात तुम गुनगुनाया करो।


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वो दिल में मेरे रहता है, मेरा सारा दर्द वो सहता है।
जब भी उसे तकलीफ होती है, चुप चुप आहें भरता है।
वो कह नही पाता है मुझसे ,की प्यार बहुत वो करता है।
वो चाँद मेरे मन आँगन का, हर वक्त वो रोशन रहता है।
वो चंदन की खुशबु बन कर जीवन मेरा महकता है।
वो मेरे दिल में रहता है…*****************************************************************
उतर के आई है धरती पे जैसे कोई हूर,
आँख से निकले जिसके अजब सा नूर।
चेहरा जिसका ग़ज़ल अजंता की,
खुशबु बदन की जगाये है सुरूर।
मैं हेर वक्त उसमे खोया रहता हूँ,
वो होती है पास या रहती है दूर।
उसकी मासुमिअत के क्या कहने,
खरगोश की नाज़ुकी जैसे मशहूर।
वो तो मेरे दिल की धड़कन है ,
वो मेरा स्वाभिमान , वो मेरा गुरुर.
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रविवार, 3 अगस्त 2008


तुम्हारी आँख से काजल चुरा लूँ, आ तुझे तुझसे चुरा लूँ।

तेरे लिए गीत बुनता हूँ हर घड़ी, तू कहे तो साज से सरगम चुरा लूँ।

आ तुझे दिल में छुपा लूँ, आ मैं तुझे तुझको दिखा दूँ...।

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सरसों सी पीली धूप खिली, ठंडी मस्त हवा है चली,

फूल फूल और पत्ते पत्ते पर दिलकश रौशनी है जली ।

सुबह कोयल की कूक सुन मुझे तेरी कमी है खली.

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तेरी नींद उड़ने को जी चाहता है, ख्वाबों में तेरी आने को जी चाहता है।

रात भर तेरे पहलु में बैठ, कुछ गीत गुनगुनाने को जी चाहता

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दिल की चौखट पे एक दीप जला रखना है,

तेरे आने का अरमान सजा रक्खा है।

तेरे जाने से जो धूल सी उठ चली थी ,

मैंने उस धूल को आंखों में बसा रक्खा है।

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आंखों में तेरी तस्वीर सजाये बैठे हैं, दिल में तेरा ख्याल छुपाये बैठे हैं।

आ भी जाओ की देखने को दिल करता है , कई दिनों से पलकें बिछाये बैठे हैं।

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शनिवार, 2 अगस्त 2008

मैरीन ड्राइव पे सैर , अल्लाह करे खैर

आओ मैरीन ड्राइव पे टहलें मेरी जानम ,
बारिश तो है बेशक , पर इनकार ना करना ।
मैं तुम्हे भूल जाऊं ये मुमकिन नहीं ,
तुम भी किसी और से प्यार ना करना।
पांव नाज़ुक है , सड़क ठीक नहीं है ,
पैदल जो चलो तेज़ अपनी रफ्तार ना करना
जब कोई दुःख हो तो दे देना तुम मुझको ,
अपने मन में दुःख का पहाड़ ना करना ।
मुझे कुछ काम नहीं सिवा तुझे याद करने के,
तुम भी मुझे याद करनेके सिवा कुछ काम ना करना।
सूखी हुयी है आँख , ये तो बरसों से नहीं है रोई,
इन् आंखों से आंसुओं की तुम बरसात न करना।
मैं चुपचाप तुम्हारे ख्याल में आऊंगा रात दिन,
तुम भी ख्यालों में मेरे बेआवाज़ ही चलना।
मैं सूरज सा रोशन करूँ दुनिया तेरी हरदम ,
तुम चाँद सा हरदम मेरे जीवन में बने रहना ।

मंगलवार, 29 जुलाई 2008

बस तुम्हारी याद का ही सहारा है

मैं कहूँ तुमसे की बस तू ही तो हमारा है
सच कहूँ बस तेरी यादों का ही सहारा है ।
दूर तक दिखती नही है आस मिलने की,
कर रहे हैं इन्तेज़ार फूल यहाँ खिलने की,
शाम ढलते ही जल जाते हैं यादों के चिराग,
दिल भी इंतज़ार करता है तड़प कर शाम ढलने की।
सच कहूँ बहती नदी का बस तू ही तो किनारा है,
बीच भंवर में डोलती नाव का बस तू ही सहारा है।
आ भी जाओ की मिल जाए मेरे दिल को करार,
सूने जीवन में हमारे भी आ जाए फिर बहार...

सोमवार, 21 जुलाई 2008


उलझी लटों को आओ मैं संवार दूँ ,

आओ मैं जी भर के तुम्हे प्यार दूँ ।

तुम चाँद बन मेरा घर रोशन करो ,

मैं आसमान बन के तेरा सत्कार करूँ ।

यूँ तो तुझसा है नही कोई सुंदर यहाँ पर ,

फ़िर भी आ तेरा मैं नित नया श्रृंगार करूँ ।

तेरे होठों पे सजा दूँ खुशबु -ऐ -गुलाब की ,

तेरी आँखों में नशा -ऐ -मोहब्बत उतार दूँ ।

तेरी धरकनो को दूँ मैं प्यार का सरगम ,

तेरी साँसों को मैं चंदन की खुमार दूँ ।

प्यार दूँ ,जी भर के तुझे मैं प्यार दूँ

तुझको तुझी से चुरा के मैं ,

आ अपनी दुनिया संवार लूँ ।




रविवार, 20 जुलाई 2008

कभी चांदनी में गूँथ लो मुझको


कभी चांदनी में गूँथ लो मुझको,

कभी तुम मुझको चंदन कर दो,

कभी रंग दो मुझे अपने ही रंग में,

कभी मेरेगीतों को अपना स्वर दो

कभी उतर आओ सावन की घटा बन कर ,

कभी मानस में समंदर सा लहर जाओ

कभी कोयल की तरह मधुर गीत गा कर,

मुझे अपनी बांहों में ले कर तुम सुलाओ ।

कभी आओ की आने की वजह के बिना,

कभी ना जाओ जैसे की रास्ता हो बंद,

कभी साँसों में घुल जाओ खुशबु की तरह,

जैसे घुली हो फूलों में मेहेकी सी मकरंद ।

कभी मेरी नींद आंखों से चुरा कर तुम,

सजा लो आंख में उसको काजल की तरह,

कभी अपनी जुल्फों को मेरे चेहरे पे बिखेरे,

छा जाओ मुझपे तुम घने बादल की तरह ।

मैं जानता हूँ तुम मुझे चाहती हो बहुत,

मिलने की ख्वाहिश तुम्हारे दिल में भी होती होगी,

तुम्हारी आँख में उस वक्त समंदर उतर आता होगा,

जब मेरी याद तुम्हे पल पल को सताती होगी...

मेरी आफरीन मैं आऊंगा लौट के पास तुम्हारे,

तुम्हारी जुल्फों में मैं गुलाब फिर सजाऊंगा,

तुम्हारे लिए जो नगमे मैंने हैं लिखे,

एक एक नगमे मैं तुम्हे बैठ के रोज़ सुनाऊंगा।

मैं लौट के तुम्हारे पास आऊंगा.....मैं लौट के तुम्हारे पास आऊंगा...





बुधवार, 16 जुलाई 2008

मुंबई की सड़क , सुबह की धूप और तुम्हारी याद

अपनी आँखे खोलो सजनी , रजनी बीत चली ,
कोयल के मीठे स्वर में प्रेम की गीत ढली ।
सुनकर उन गीतों को मैं करता तुझ को याद
आकर मेरे जीवन को तुम कर दो फिर आबाद ।
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तू ही मेरा रब है , तू ही मेरा है खुदा
होना ना यारब तू कभी मुझसे जुदा ।
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सुबह सुबह तेरी याद के बादल घुमर घुमर के बरसे
सुबह सुबह मेरा पागल मन तुझे देखने को तरसे ।
उठो प्रिये अब उठ भी जाओ,प्रेम गीत संग मेरे गाओ ।
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तू नही तो उदासी का घेरा है ,तेरे बगैर ये बोझल सवेरा है ,
तेरी यादें हैं जो दिल को राहत देती हैं,पलकों पे आंसुओं का पहरा है ।
तू जो आके मेरे सीने से लग जाए जानम , दिल को आराम और चैन मिले ।
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मेरे करीब आओ की कुछ चैन पड़े , प्यार के गीत सुनाओ की कुछ चैन पड़े ।
तेरे ना होने से सूनापन घेरे है , तू जो मेरे पास आए तो कुछ चैन पड़े ।
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सूरज की पहली धूप , बारिश की पहली बूँद , हवा का पहला झोंका ,चिरियों की पहली तान , फूलों की पहली मुस्कान , सब कुछ सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए ।

शुक्रवार, 11 जुलाई 2008

जो तुम्हारे लिए हैं लिखे वो तुमको ही करता हूँ समर्पित

मुझे भुलाना भी चाहोगे तो भुला ना पाओगे तुम ,
पलकों पे ठहर जाऊंगा मैं आंसुओ की तरह ।
मैं साँस हूँ जीने के लिए तेरे दिल में ,
बस जाऊंगा धरकन की तरह।
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तेरी जुल्फें मेरे चेहरे पे गिरी जाती हैं ,
मेरी साँसे तेरी साँसों में डूब जाती हैं ।
तेरे बदन की खुशबु से ई जान -ऐ -अदा ,
साँसे भी महक महक जाती हैं।
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बीत गई है रात , हो गई है प्रात ।
करनी है मुझको तुझसे प्यारी प्यारी बात ।
उठो जनम सुबह हो गई , मिल कर पियें चाय ,
एक दुसरे के प्यार में हम यु ही डूब जाए ।
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आइये जनाब आ भी जाइये जनाब , मेरी आँख में ख्वाब सजाइए जनाब ।
मैं आपको लोरियां सुनाऊं , आप मेरे काँधे पे सर रख सो जाइए जनाब .
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आपके ख्यालों से फुर्सत नही मिलती ,
हमें एक पल की राहत नही मिलती ।
मिल तो जाता है सब कुछ ,
बस इतवार को झलक नहीं मिलती ।
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तू जो एक बार मुझे छू ले तो मैं संवर जाऊं ,
तू जो एक बार मुझे तो मैं नज़र पाऊं ।
तेरे लिए सिर्फ़ लिखते हैं गीत हम , तेरे लिए सिर्फ़ उन्हें मैं गाऊँ ।
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आपकी याद आती रही रात भर ,
घटायें बरसती रही रात भर ,
रात भर बिजलियाँ करकराती रही ,
हम आपके साथ भींगते रहे रात भर ।
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मेरी आँख से दुनिया देखो सब कुछ अच्छा दिखेगा ,
रंग बिरंगे सपने होंगे मन में चैन रहेगा , तू कई जनम का साथी है मेरा ,
तू कई जन्मों का साथी रहेगा ।
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चलो बारिश में भींग जाएँ ,
भीगते हुए एक दूजे की याद में खो जाएँ
चलो सो जाएँ , चलो सो जाएँ ।
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मुझको तो आपका बस फरमान चाहिए ,
मौजूद जान भी है अगर जान चाहिए ।
कुछ भी रहा ना दिल में तेरी याद के सिवा ,
इस घर के वास्ते येही मेहमान चाहिए ।
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रात भर मेरी गोदी में सर रख तुम लेटी रही,
रात भर मैं तुम्हारा सर सहलाता रहा ।
रात भर तुम चैन से सोती रही ,
रात भर मैं तुम्हे प्यार में नहलाता रहा ।
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सुबह हो गई अब उठ जाओ ,
आओ मेरे संग प्रेम गीत गाओ,
तुम दौर के आके मेरे सीने से लग जाओ ,
कभी कानो में मेरे चुपके से गुनगुनाओ ।
कभी शर्मा के दांतों में उँगलियाँ दबा ओ ,
कभी ऐसे आओ की लौट के ना जाओ ...
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बुधवार, 9 जुलाई 2008

जहाँ मेरे स्वप्न पला करते हैं

मुमकिन है तुम्हें याद आए वो पल
जब मैंने गूंथा था तुम्हारी जुल्फों में बादल,
जब तुम्हारे चेहरे को छू सूरज रोशन हुआ था,
जब तुम्हारी आंखों में लहराया था सागर,
जब तुम्हे सीने से लगा मैंने जिंदगी की साँसे ली,
जब तुम्हारे होंठ से चुरा ली थी अमृत की एक धार,
जब मैंने तुम्हारे सीप सी आंखों में झाँक कर था कहा,
तुम्ही हो.... हाँ तुम्ही तो हो मेरी जिंदगी का प्यार।
तुमसे ही ही सागर,तुमसे ही हवा और आकाश,
तुमसे ही रूप, तुमसे ही रंग, तुमसे ही है हेर तरफ़ बहार...
मेरी आफरीन .....तू है सबसे हसीं...
तू है सबसे अलग ,तू सबसे जुदा ...
तू ही मेरी इबादत ...तू है मेरा खुदा...

सोमवार, 7 जुलाई 2008

तुम्हे बेहद प्यार करते हैं....

चलो कह ही देते हैं तुम्हें की हम तुम पर जान निसार करते हैं
हर घड़ी खुली आँख से बस तेरा इन्तेज़ार करते हैं,
अपने हाथों की लकीरों में भी ना इसे समेट पओगे,
हम तुम से इतना ज्यादा ही प्यार करते हैं।
अपनी जुल्फों में बसा लो मुझको तुम खुशबु की तरह
हम बादल की तरह तुमको बहार करते हैं,
चलो मौसम की तरह तुम मुझे चित्रांकित करो
चलो बारिश की तरह हम तुझपे फुहार करते हैं...
....आ जी भर के तुझको प्यार करते हैं......
आंखों में तुझको भरते हैं ......यूँ उम्र गुजारा करते हैं...

गुरुवार, 3 जुलाई 2008


मेरे बच्चे मेरे कलेजे टुकड़े ,चैन की नींद में तू है गाफिल
पापा के सीने से लग केर,तू फरिश्तों में हो गया शामिल
मेरी धडकनों को सुन कर तू मंद मंद मुस्काता है ,
तुझे देख केर खुदा भी न जाने क्यूँ शर्माता है,
मेरे बच्चे मेरे लखते-जिगर ,तू आया है जीवन में उजाला लिए,
तुझे पा कर यूँ लगा मुझको, खुदा ने सारी मुझे ही हैं दिए।
तू जो आया तो जीवन में बहार आयी, हवा आयी और घटा भी आयी
तेरे आने ऐ मेरे बच्चे ,हर तरफ़ बस खुशियाँ ही हैं छाई.

सोमवार, 30 जून 2008

जब नींद न आए मुझे तुम याद कर लेना

Tumhe gar neend na aaye to Mujhko yaad ker lena,
Mere seene se lag ker Tum kuchh pal to so lena,
Maiin yadon ki badli ki thundi fuhaar sa hun,
kabhi Mujhmein sama jaana, kabhi mujhme Tum kho jaana..

Kabhi julfon ko chhitra ke mere chehre pe bikhero Tum,
kabhi Meri saanso ki khusbu mein apni saanso ko ker do guum,
kabhi Tum lipat ke Mujhse baawri ho Mayur si naacho ,
kabhi Mere likhe geeton ko padhna aur suna na Tum...

शनिवार, 28 जून 2008

तेरे लिए कुछ गढे कुछ अनगढे हर्फ़

Wo agar mil jaayen to kya kijiye,
Raat din soorat ko dekha kijiye.
Unki muskurahat pe ho jaiye nisaar,
unki khushiyon ke liye zeher bhi hans hans pijiye.
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Rimjhim fuharon se jhoom utha mera dil
Aise míen tu daud ke aa aur aake mujhse mil
Mil ke tu mere saath saath bheeng jaa,
pyaar ki baarish se mujhe seench jaa.
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Mere kandhe pe ser rakh so jaao jaanam
Aao main tumhe dular dun.
Tera her ghum main chun lu apne liye,
Tujhe khushiyan main beshumaar dun
Aa tujhe pyaar dun.
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Subah ki bheegi hawa laaye teri yaad
Baarish ki boonde kerti hain fariyaad
Koyal kooke daal per de jaaye samvaad,
Kar raha hai tumko bhi koii dil se yaad.
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Baarish ki boonden tip tip ker Pee ke aane ki khabar de jaayen
Mun Pee darshan ko taras raha, aankhe darwaje se lag jaayen
Aankh khule to saamne tum hona, aankh bandh ho to palkon pe tum sona
Jo hansu to khilkhilahat tumhari ho, jo rooun to sung mere tum rona.
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Neend aankhon me utarti jaa rahi hai,
yaad teri her taraf chha rahi hai.
Palken abhi bhi khol rakhi hai humne,
News hai ki sapne me tu aa rahi hai.
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Aaj uthi iss tarah nigah-e-karam,
Jaise shabnam se phool bhar jaye.
Tu jo muskura ke ek bar dekhe
Zindagi roshni se bhar jaye.
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Tu bata tere bin hum kidhar jayen.
Meri dharkan me busi geet ho tum
Mere her janam ki meet ho tum.
Tum hi tum rahti ho saanso me meri,
Mere jeevan ki khubsurat sangeet ho tum.
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Sard hawayen geet gayen, tumko mere paas bulayen
Baarish ki boonde saaj bajayen, mun mayur ko naach nachayen.
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Udaas mat hona ki tumse khushi hai
Tumhari muskurahat mein meri saanse busi hai
Main tumhe her waqt khush dekna chahta hun,
Chain milta hai jab jab tu hansi hai.
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Raat andheri soonpan hai, baarish se phaila bhjigapan hai.
Aise me tere sapne me aayega tera mun-meet
jo tumko sunayega pyaar bhare geet.
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गुरुवार, 26 जून 2008

तुम्हे मैं अपनी निगाहों में कैद रखता हूँ...


तुम्हे मैं अपनी निगाहों में कैद रखता हूँ,

तुम्हें दिल की धरकनो में बसा लेता हूँ,

मैं तुम्हारे होठों से अमृत चखता हूँ,

अपनी जिंदगी को यूँ मैं सजा लेता हूँ ।

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मुझे तुम याद करके आँख से आंसू न बहाना

मुझे अपनी निगाह में रखना कभी गिरा न देना,

मैं हर वक्त तेरे ही ख्याल में गुम रहता हूँ,

मुझे जिंदगी देना ,कभी गुमशुदा न करना....

..कभी मुझको ख़ुद से तुम जुदा ना करना......


मंगलवार, 24 जून 2008

मुझे तुम याद आते हो

Khuda se roz teri salamati ki dua kerta hun,
yun her waqt main tujhme hua kerta hun।
Teri aankh me jab bhi aansu aaye,
apne hothon se main unko chhua kerta hun।

शनिवार, 21 जून 2008

सुबह सुबह खिर्कियों पे बैठ चिरियों के गीत सुनो,
सुबह सुबह खिर्कोयों पे बैठ चाय पी के सपने बुनो
सुबह सुबह की हवा को अपने खुशबु से लबरेज़ करो
सुबह सुबह उठ के बैठ सबसे पहले मुझको याद करो.

कभी अपने हाथों की लकीरों से चुरा लूँ तुमको

कभी अपने दामन में ताओं सा सजा लूँ,

कभी तपती धुप में सावन सा बरस जाओ तुम भी

कभी ठंडक में गिलाफों का सा मजा लूँ।

तू जो शामिल है मेरी धरकनो में,

तू जो मेरे गीतों में बसी रहती है,

तू शामिल है मेरे जीवन में कुछ इस तरह,

जैसे गुलाब में खुशबु रहा करती है.

बुधवार, 28 मई 2008

वो गुलाब है


कुछ अपनी बात कहूँ ,कुछ कहूँ तुम्हारी ,
जो मेरा है नसीब ,जो है सबसे प्यारी॥
जिसके लिए लिखता हूँ गाने ,जिसके लिए मैं चित्र बनाओं
जिसके लिए ढून्धू मैं उपमा,जिसके लिए मैं शबनम लाऊं
वो खुश तो मैं खुश रहता हूँ,वो दुखी तो मैं हूँ दुखी ,
वो सुख का सागर ,वो हर्ष की दरिया, उस से मैं हूँ सदा सुखी.