शनिवार, 6 दिसंबर 2008

कोई तो गीत गाओ की अब चैन पड़े

कोई तो गीत गाओ की अब चैन पड़े,
कोई धुन गुनगुनाओ की अब चैन पड़े.
रास्ते से गुजर नहीं ,राह भी आसान नहीं ,
तुम साथ आओ में तो फिर अब चैन पड़े।
वो झुकी नज़र में तेरे प्यार की खुमारी थी,
उस एहसास को फ़िर ले आओ की अब चैन पड़े।
मुद्दतें हुयी हैं तुम को जी भर के देखे हुए ,
फ़िर आ के दरस दिखाओ की अब चैन पड़े।
वो मेरी साँसों में छुपी खुशबु तेरे प्यार की,
उस खुशबु से मुझे नहलाओ की अब चैन पड़े
खुदा की तलाश में घुमते हैं दर-बा-दर ,
कभी आके मुझे मिल भी जाओ की अब चैन पड़े।

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत है।बधाई।

mehek ने कहा…

bahut khubsurat

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

बहुत अच्छी गजल िलखी है आपने । कथ्य और िशल्प दोनों दृिष्ट से बेहतर है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-उदूॆ की जमीन से फूटी िहंदी गजल की काव्य धारा-समय हो तो इस लेख को पढें और प्रतिकर्िया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com