मंगलवार, 29 जुलाई 2008

बस तुम्हारी याद का ही सहारा है

मैं कहूँ तुमसे की बस तू ही तो हमारा है
सच कहूँ बस तेरी यादों का ही सहारा है ।
दूर तक दिखती नही है आस मिलने की,
कर रहे हैं इन्तेज़ार फूल यहाँ खिलने की,
शाम ढलते ही जल जाते हैं यादों के चिराग,
दिल भी इंतज़ार करता है तड़प कर शाम ढलने की।
सच कहूँ बहती नदी का बस तू ही तो किनारा है,
बीच भंवर में डोलती नाव का बस तू ही सहारा है।
आ भी जाओ की मिल जाए मेरे दिल को करार,
सूने जीवन में हमारे भी आ जाए फिर बहार...

5 टिप्‍पणियां:

vipinkizindagi ने कहा…

bahut achchi abhivykati....
bahut achchi bhavnao ke sath
meri ek gazal....
खाली न हो घर दिल का,
इसमे समान कोई रखना,
जो चले गये छोड़कर सफ़र,
उनकी याद में याद कोई रखना,
जब हो कामयाबी का नशा खुद पर
तो सामने अपने आईना कोई रखना,
यकीनन ज़िंदगी एक ज़ंग है मगर,
इस दौड़ में अपना ईमान कोई रखना

बालकिशन ने कहा…

बेहद उम्दा और मधुर गीत.

रंजू भाटिया ने कहा…

वर्ग पहली कैसे बनी ?

समयचक्र ने कहा…

उम्दा गीत.

Udan Tashtari ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर.बहुत बधाई.