बुधवार, 20 अगस्त 2008

मधुबन की सुगंध

बदन महक रहा चंदन चंदन,साँसों में तेरा है स्पंदन,
तुझसे महक रही है दुनिया, तुझसे खिला हुआ है जीवन।
तुझको पाकर हुआ निहाल मैं,तुझसे ही फूलों का उपवन,
है आकाश बना मधुशाला,मद ढलकाते तेरे ये दो नयन।
कलरव करते शोर मचाते नाचते गाते बाग़ के चिरियन,
तुझसे ही मैं लेता हूँ साँसे, तुझसे ही दिल में है धरकन।
बरस बरस जाती हैं आँखें, तरस तरस जाता मेरा मन,
जब तुम आती पास हो मेरे,झूम झूम जाता है सावन।



2 टिप्‍पणियां:

पारुल "पुखराज" ने कहा…

बरस बरस जाती हैं आँखें, तरस तरस जाता मेरा मन,
sundar..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा,बधाई.