रविवार, 28 सितंबर 2008

मुझपे छाया हुआ तेरा नूर-ऐ-जमाल है

हवाओं से हर वक्त हम तेरा पता पूछते हैं ,
फूलों में हरदम हम तेरी महक ढूंढते हैं।
जो बजती है मन्दिर में घंटियाँ सुबह को,
हम उनमे तेरी चूरियों की खनक ढूंढते हैं।
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अपनी साँसों में बसा कर तुझको,
खुदको मैंने एक नई जिंदगी दी है।
सच कहता हूँ तुझे प्यार कर के मैंने,
सच्चे दिल से खुदा की बंदगी की है।
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हमारा प्यार एक दरिया है,जो दूर तक बस बहता ही जायेगा।
जब बहुत दूर तक वह जायेगा , तो फ़िर समंदर में उतर जायेगा।
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हमारा प्यार चंदन का पेर है जो, सबको पवित्र कर जायेगा,
काटने वाले को भी वह,अपनी खुशबु से खूब मेह्कायेगा।
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चुरा लाया हूँ ख़ुद को मैं, पर अपना साया छोर आया हूँ,
तेरी आंखों के समन्दर में मैं अपना चेहरा छोर आया हूँ।
सजा ले मुझको अपनी जुल्फों में,या रख ले दिल की किताब में,
मैं तेरे हाथों में ऐ जान-ऐ-अदा अपने दिल का गुलाब छोर आया हूँ।
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जो तेरा दीदार हो जाए, तो मेरे दिल को करार हो जाए,
तुझ को देखे एक नज़र तो फ़िर,बेचारा चाँद शर्मशार हो जाए।
मेरे चेहरे पे हो तेरी जुल्फ का साया,और तीरगी खुशगवार हो जाए...
चलो फ़िर प्यार हो जाए....चलो फ़िर प्यार हो जाए...
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कुछ दूर हमारे साथ चलो,हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आँखों से,वो बात ज़ुबानी कह देंगे,
फूलों की तरह जब होंठों पे, एक शोख तबस्सुम बिखरेगा,
चुपके से तुम्हारे कानो में, हम हर बात पुरानी कह देंगे।
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मेरी रगों में खून की जगह तेरा खयाल है,
मैं आदमी हूँ या क्या हूँ,ये उठता सवाल है।
हर तरफ़ अँधेरा है, पर मैं सिर्फ़ रौशनी में हूँ,
मुझपे छाया हुआ आपका ये नूर-ऐ-जमाल है।
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1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बेहतरीन...एक से बढ़ कर एक...वाह..वा...
नीरज