मुमकिन है तुम्हें याद आए वो पल
जब मैंने गूंथा था तुम्हारी जुल्फों में बादल,
जब तुम्हारे चेहरे को छू सूरज रोशन हुआ था,
जब तुम्हारी आंखों में लहराया था सागर,
जब तुम्हे सीने से लगा मैंने जिंदगी की साँसे ली,
जब तुम्हारे होंठ से चुरा ली थी अमृत की एक धार,
जब मैंने तुम्हारे सीप सी आंखों में झाँक कर था कहा,
तुम्ही हो.... हाँ तुम्ही तो हो मेरी जिंदगी का प्यार।
तुमसे ही ही सागर,तुमसे ही हवा और आकाश,
तुमसे ही रूप, तुमसे ही रंग, तुमसे ही है हेर तरफ़ बहार...
मेरी आफरीन .....तू है सबसे हसीं...
तू है सबसे अलग ,तू सबसे जुदा ...
तू ही मेरी इबादत ...तू है मेरा खुदा...
4 टिप्पणियां:
bhut sundar. ati uttam. likhate rhe.
प्रेम की चाशनी में लिपटी है ये आपकी कविता, बहुत बढ़िया!
pyaar bhi hai judaa
bahut achhi kavita
बढिया प्रयास है आपका, धन्यवाद । इस नये हिन्दीण ब्ला ग का स्वागत है ।
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