उलझी लटों को आओ मैं संवार दूँ ,
आओ मैं जी भर के तुम्हे प्यार दूँ ।
तुम चाँद बन मेरा घर रोशन करो ,
मैं आसमान बन के तेरा सत्कार करूँ ।
यूँ तो तुझसा है नही कोई सुंदर यहाँ पर ,
फ़िर भी आ तेरा मैं नित नया श्रृंगार करूँ ।
तेरे होठों पे सजा दूँ खुशबु -ऐ -गुलाब की ,
तेरी आँखों में नशा -ऐ -मोहब्बत उतार दूँ ।
तेरी धरकनो को दूँ मैं प्यार का सरगम ,
तेरी साँसों को मैं चंदन की खुमार दूँ ।
प्यार दूँ ,जी भर के तुझे मैं प्यार दूँ
तुझको तुझी से चुरा के मैं ,
आ अपनी दुनिया संवार लूँ ।
2 टिप्पणियां:
तुम चाँद बन मेरा घर रोशन करो ,
मैं आसमान बन के तेरा सत्कार करूँ ।
bahut sundar rachna...
बहुत उम्दा रचना है, बधाई.
एक टिप्पणी भेजें