मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

Deepawali ki Shubhkaamnayen


Jalaao diye per rahe dhyaan itna,

andhera dhara per kahin reh na jaaye...

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बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

मैंने उसकी जुल्फ में जो उँगलियाँ फेरीं,हाथ खुशबु में मेरे देर तक महकते रहे,
उसकी पलकों को जो चूमा मैंने ऐ दोस्त,हम बिना पिए ही देर तक बहकते रहे।
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उनको अगर भूल जाने को कहोगे मुझसे,तो भला क्यूँ न मैं खुदा को भूलूं,
जी चाहता है हेर वक्त ऐ दोस्त मैं,सिर्फ़ और सिर्फ़ उंनकी यादों में झूलूं।
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रात पलकों पे सितारे सा सजाया उनको,और फिर देर तक उस रौशनी में नहा आए,
जब कहीं लगा की वो दूर हो गए हमसे, हम हवा की तरह जा कर उन्हें छू आए।
उंनके छूने से जी गए पल भर हम , और रात आंखों में सपनो की बारात आयी,
उनके सिरहाने जो फूल रक्खे थे हमने, देर तक उन् फूलों की हमें खुशबु आयी।
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मुझे तुम याद आते हो...
सुबह जब रौशनी छन कर फूलों पे बरसती है,
सुबह ओस की बूंदों में एक शबनम तरपती है,
सुबह जब चिरियों के गले से एक विरह के गीत सुनता हूँ,
मैं अपनी धरकनो में उस वक्त तुम्हारे ख्वाब बुनता हूँ...
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो॥
दिन की तपती धूप जब मुझको सहलाती है,
बहती हुयी पुरवाई जब मुझे सहलाती है,
किसी पायल की खन खन से जब मुझे कोई बुलाता है,
मधुर संगीत की धुन पर कोई गीत गाता है,
मुझे तुम याद आते हो...अक्सर याद आते हो।
शाम में जब कोई चिरागों को जलाता है,
दिन के थके पखेरुओं को जब कोई लोरी सुनाता है,
जब किसी घुंघरू की खनक से मन को दुलराता है,
चांदनी में गूँथ के कोई तेरी खुशबु ले आता है,
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो...

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

प्रेम कहानी बुन लूँ

कुछ अपनी सुनाऊ मैं ,कुछ तेरी आ सुन लूँ ।
सपने जो बिखरे हैं उनको,पलकों से आ चुन लूँ।
गीत मधुर गाते हैं हम जो लिखते रहते हैं तुम पर,
धरकन से तेरी मैं आ फ़िर कोई नई नवेली धुन लूँ।
रिमझिम रिमझिम सावन रुत में मन खोजे सजन को,
खुली आँख से सपने देखूं , और एक प्रेम कहानी बुन लूँ।