दर्द जब हद से गुजर जाता है,
आँख में बादल उतर आता है।
मुसाफिर है नहीं बसर उसका,
थक जाता है तो घर जाता है ।
उसकी आँखों में झाँक देखो,
लहराता समंदर नजर आता है।
धूप में तप के सोना हो गया,
इस तरह वो निखर जाता है ।
हरसिंगार सा है खिला लेकिन,
हल्के हवा में भी झड़ जाता है।
दिन में सूरज सा जीता लेकिन,
शाम होते ही वो मर जाता है ।
- नीहार
आँख में बादल उतर आता है।
मुसाफिर है नहीं बसर उसका,
थक जाता है तो घर जाता है ।
उसकी आँखों में झाँक देखो,
लहराता समंदर नजर आता है।
धूप में तप के सोना हो गया,
इस तरह वो निखर जाता है ।
हरसिंगार सा है खिला लेकिन,
हल्के हवा में भी झड़ जाता है।
दिन में सूरज सा जीता लेकिन,
शाम होते ही वो मर जाता है ।
- नीहार