शुक्रवार, 29 मई 2009

मुझे तुम याद आते हो.....

मुझे तुम याद आते हो....
सुबह जब रौशनी छन कर फूलों पे बरसती है,
सुबह ओ़सकी बूंदों में एक शबनम तरपती है,
सुबह कोयल के गले से जब वीरह के गीत सुनता हूँ,
मैं अपनी धरकनो में उस वक्त तुम्हारे ख्वाब बुनता हूँ...
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो.....
दोपहर की तपती धुप जब मुझको सहलाती है,
बहती हुयी पुरवाई जब मुझे दुलराती है ,
कीसी पायल की खान खान से जब मुझे कोई बुलाता है ,
मधुर संगीत की धुन पर जब कोई गीत गाता है,
मुझे तुम याद आते हो...अक्सर याद आते हो.
शाम में जब कोई चीरागोन को जलाता है,
दीन के थके पखेरुओं को जब कोई लोरी सुनाता है,
जब कीसी घुंघरु की खनक से मन को दुलराता है,
चांदनी में गूँथ के कोई तेरी खुशबु ले आता है,
मुझे तुम याद आते हो...बहुत तुम याद आते हो...