सुबह सुबह खिर्कियों पे बैठ चिरियों के गीत सुनो,
सुबह सुबह खिर्कोयों पे बैठ चाय पी के सपने बुनो
सुबह सुबह की हवा को अपने खुशबु से लबरेज़ करो
सुबह सुबह उठ के बैठ सबसे पहले मुझको याद करो.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें