बुधवार, 24 सितंबर 2008

तुम्हारी याद को दिल से लगा के रक्खा है,

हमने तुम्हे कबसे अपना बना के रक्खा है।

वो सुबह उठ के नहा के चले जाते हैं ऑफिस,

हमने सुबह उठ के उनकी इबादत को अपना ईमान बना रक्खा है।

3 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

हमने सुबह उठ के उनकी इबादत को अपना ईमान बना रक्खा है।
"wah, bhut khub, shayad yhee neeytee bhee hai "

Regards

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

हमने सुबह उठ के उनकी इबादत को अपना ईमान बना रक्खा है।

बेहतरीन...

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

kya baat hai bhut sundar rachana.