सुबह सुबह हम ये काम करते हैं, अपने प्यार को सलाम करते हैं।
उनकी आंखों में डूब जाते हैं, और उनके होठों से जाम लेते हैं।
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सुबह सुबह मैं तेरे ख्यालों में रम जाता हूँ,
सुबह सुबह तेरे मतवारे आँखों में गुम जाता हूँ।
मैं तेरा हूँ और तेरा ही रहूँगा हर वक्त,
सुबह सुबह मैं ये कसम खाता हूँ।
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जी चाहता है तुझे मैं अपने सामने बिठाऊँ ,तेरी होठों की रंगत अपने होठों से चुराऊँ।
तेरी आंखों में मैं रौशनी सा झिल्मिलाऊं, तुझमें यूँ मैं ख़ुदको पाऊं ,
ख़ुद में मैं तुझको ही पाऊं ॥
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हर तरफ़ तेरा उजाला, हर तरफ़ तेरा सुरूर।
तू ही मेरी मोहब्बत, तू ही है मेरा गुरूर।
तुझे भी मुझसे लगी है लगन तो फिर,
एक बार पलकें मिला मुस्कुराइए हुजुर।
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खिली धुप में खिला हो चेहरा, खिले चेहरे पे खिली मुस्कान,
खिली मुस्कान से सजे होठों पे, सुबह सुबह आए मेरा नाम।
उस नाम का आपको सुबह सुबह सलाम..........
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अपनी निगाहों से सवेरा कर दे, मेरी वीरानियों का दूर अँधेरा कर दे।
मेरी दुनिया बहुत वीरान सी है, तू उसको अपनी मुस्कुराहटों के फूल से भर दे.
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जब रात अकेले चाँद के संग हम हवा के पर पे उड़ते हैं।
तब तेरी यादों के संग संग हम देर रात तक तिरते ।
तू पास नही होती फिर भी, तेरी तस्वीर लिए हम फिरते हैं।
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कभी ख़्वाबों की तरह आँख के परदे में रहो,
कभी ख्वाहिश की तरह दिल में बुलाएं तुझको,
है तुम्हारे लिए कुछ ऐसी मोहब्बत दिल में,
किखुद को भूल जाएँ और फिर पायें तुझको।
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हमारे पास कुछ भी नहीं तेरी यादों के सिवा,
हमें उनसे लिपट यूँ ही जिंदगी बिताने दे।
मुझे अच्छी लगती है तेरी जुल्फों की घनी छाओं,
कुछ पल तो मुझे उनकी छाओं में ठहर जाने दे,
जिंदगी यूँ ही गुज़र जाने दे...मुजको अपनी खुशबु में तेर हो जाने दे,
हर पल मुझे यूँ ही संवर जाने दे.....
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4 टिप्पणियां:
कभी ख़्वाबों की तरह आँख के परदे में रहो,
कभी ख्वाहिश की तरह दिल में बुलाएं तुझको,
है तुम्हारे लिए कुछ ऐसी मोहब्बत दिल में,
किखुद को भूल जाएँ और फिर पायें तुझको।
dil ko chu gae hai aapke bhaaw
बहुत बढिया शायरी है। बहुत सुन्दर कहा है-
कभी ख़्वाबों की तरह आँख के परदे में रहो,
कभी ख्वाहिश की तरह दिल में बुलाएं तुझको,
है तुम्हारे लिए कुछ ऐसी मोहब्बत दिल में,
किखुद को भूल जाएँ और फिर पायें तुझको।
मुहब्बत की चाशनी में लिपटी रचना....वाह.
नीरज
सुन्दर.......
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