बुधवार, 16 जुलाई 2008

मुंबई की सड़क , सुबह की धूप और तुम्हारी याद

अपनी आँखे खोलो सजनी , रजनी बीत चली ,
कोयल के मीठे स्वर में प्रेम की गीत ढली ।
सुनकर उन गीतों को मैं करता तुझ को याद
आकर मेरे जीवन को तुम कर दो फिर आबाद ।
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तू ही मेरा रब है , तू ही मेरा है खुदा
होना ना यारब तू कभी मुझसे जुदा ।
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सुबह सुबह तेरी याद के बादल घुमर घुमर के बरसे
सुबह सुबह मेरा पागल मन तुझे देखने को तरसे ।
उठो प्रिये अब उठ भी जाओ,प्रेम गीत संग मेरे गाओ ।
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तू नही तो उदासी का घेरा है ,तेरे बगैर ये बोझल सवेरा है ,
तेरी यादें हैं जो दिल को राहत देती हैं,पलकों पे आंसुओं का पहरा है ।
तू जो आके मेरे सीने से लग जाए जानम , दिल को आराम और चैन मिले ।
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मेरे करीब आओ की कुछ चैन पड़े , प्यार के गीत सुनाओ की कुछ चैन पड़े ।
तेरे ना होने से सूनापन घेरे है , तू जो मेरे पास आए तो कुछ चैन पड़े ।
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सूरज की पहली धूप , बारिश की पहली बूँद , हवा का पहला झोंका ,चिरियों की पहली तान , फूलों की पहली मुस्कान , सब कुछ सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए ।

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अच्छा लिखा है-


तू ही मेरा रब है , तू ही मेरा है खुदा
होना ना यारब तू कभी मुझसे जुदा ।

शोभा ने कहा…

बहुत खूब लिखा है। बधाई

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत खूब..बधाई!