शुक्रवार, 11 जुलाई 2008

जो तुम्हारे लिए हैं लिखे वो तुमको ही करता हूँ समर्पित

मुझे भुलाना भी चाहोगे तो भुला ना पाओगे तुम ,
पलकों पे ठहर जाऊंगा मैं आंसुओ की तरह ।
मैं साँस हूँ जीने के लिए तेरे दिल में ,
बस जाऊंगा धरकन की तरह।
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तेरी जुल्फें मेरे चेहरे पे गिरी जाती हैं ,
मेरी साँसे तेरी साँसों में डूब जाती हैं ।
तेरे बदन की खुशबु से ई जान -ऐ -अदा ,
साँसे भी महक महक जाती हैं।
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बीत गई है रात , हो गई है प्रात ।
करनी है मुझको तुझसे प्यारी प्यारी बात ।
उठो जनम सुबह हो गई , मिल कर पियें चाय ,
एक दुसरे के प्यार में हम यु ही डूब जाए ।
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आइये जनाब आ भी जाइये जनाब , मेरी आँख में ख्वाब सजाइए जनाब ।
मैं आपको लोरियां सुनाऊं , आप मेरे काँधे पे सर रख सो जाइए जनाब .
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आपके ख्यालों से फुर्सत नही मिलती ,
हमें एक पल की राहत नही मिलती ।
मिल तो जाता है सब कुछ ,
बस इतवार को झलक नहीं मिलती ।
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तू जो एक बार मुझे छू ले तो मैं संवर जाऊं ,
तू जो एक बार मुझे तो मैं नज़र पाऊं ।
तेरे लिए सिर्फ़ लिखते हैं गीत हम , तेरे लिए सिर्फ़ उन्हें मैं गाऊँ ।
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आपकी याद आती रही रात भर ,
घटायें बरसती रही रात भर ,
रात भर बिजलियाँ करकराती रही ,
हम आपके साथ भींगते रहे रात भर ।
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मेरी आँख से दुनिया देखो सब कुछ अच्छा दिखेगा ,
रंग बिरंगे सपने होंगे मन में चैन रहेगा , तू कई जनम का साथी है मेरा ,
तू कई जन्मों का साथी रहेगा ।
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चलो बारिश में भींग जाएँ ,
भीगते हुए एक दूजे की याद में खो जाएँ
चलो सो जाएँ , चलो सो जाएँ ।
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मुझको तो आपका बस फरमान चाहिए ,
मौजूद जान भी है अगर जान चाहिए ।
कुछ भी रहा ना दिल में तेरी याद के सिवा ,
इस घर के वास्ते येही मेहमान चाहिए ।
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रात भर मेरी गोदी में सर रख तुम लेटी रही,
रात भर मैं तुम्हारा सर सहलाता रहा ।
रात भर तुम चैन से सोती रही ,
रात भर मैं तुम्हे प्यार में नहलाता रहा ।
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सुबह हो गई अब उठ जाओ ,
आओ मेरे संग प्रेम गीत गाओ,
तुम दौर के आके मेरे सीने से लग जाओ ,
कभी कानो में मेरे चुपके से गुनगुनाओ ।
कभी शर्मा के दांतों में उँगलियाँ दबा ओ ,
कभी ऐसे आओ की लौट के ना जाओ ...
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3 टिप्‍पणियां:

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

Niharji, aap bhut sundar likh rhe hai. or bhi sundar likhe iske liye meri shubhakamnaye.

Udan Tashtari ने कहा…

Badhiya hai, likhte rahiye.Shubhkamanaayen.

शोभा ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।