तुम्हारी आँख के समंदर में डूब जाता हूँ,
दिन रात बस तुम्हारे ही गीत मीन गुनगुनाता हूँ।
जब यादों की तपती धूप झुलसाने लगती है हमें,
राहत-ऐ -जान के लिए अपनी आँखों से सावन बरसाता हूँ।
तेरी जुल्फों से चुरा लाता हूँ घनी काली बदलियाँ मैं ,
तेरे होठों पे गुलाब की मासूमिअत मैं सजाता हूँ,
मुझे ढूंढना चाहो तो झाँक लो दिल में अपने तुम,
मैं धरकनो की तरह तेरे दिल में ग़ुम सा हो जाता हूँ।
थक गए हो तो चलो अपनी आँखें बूंद केर लो तुम,
मैं ख्वाब की तरह तेरी पलकों पे बिखर सा जाता हूँ।
तुम्ही को सोचूं, तुम्ही को लिक्खूं, तुम्ही में रंग भरूँ,
बस तुम ही तुम को मैं हर पल अपने करीब पाता हूँ।
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3 टिप्पणियां:
सुन्दर भाव!
सुन्दर भावपूर्ण रचना है।बधाई।
थक गए हो तो चलो अपनी आँखें बूंद केर लो तुम,
मैं ख्वाब की तरह तेरी पलकों पे बिखर सा जाता हूँ।
sundar lines...
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