रविवार, 3 जनवरी 2010

कभी कभी यूँ ही बस .......

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ,
की तू है तो ज़मीन है तू है तो आसमान है,
तू है तो मुझपर खुदा हर वक़्त मेहेरबान है।
जो तू नहीं तो ऐ मेरी जान ऐ अदा ये जान ले तू,
जिंदगी बीच समंदर में उठा एक तूफ़ान है ।
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उनके ख्याल आये तो आये चले गए,
उनको सोच के गीत गाये चले गए।
उनकी आँखों के समंदर में कुछ इस तरह डूबे,
की जिन्दगीका लुत्फ़ जिनगी भर उठाये चले गए।
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तेरे होठों पे सजा दूँ गुलाब की लाली,
तेरी जुल्फों में उतार दूँ रात काली काली,
तेरे गालों को जो चूम के आयी है हवा,
वो बन गयी है मेरे हेर मर्ज़ की दवा।
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एक बार तो मेरे सीने से आके लग जाओ तुम,
एक बार तो मेरी सोचों मेतुम हो जाओ गूम,
एक बार तो यादों की बारिश को बरस जाने दो,
एक बार तो अपनी आँख से मोती टपक जाने दो।
एक बार तो कह दो की मेरे बिना सब सूना है,
एक बार तो मुझको यूँ ख्वाब में आ रुलाने दो।
एक बार तो अपने दिल को धरकने दो अपने नाम से,
एक बार अपनी साँसों को मेरी सांस से महक जाने दो।
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