मंगलवार, 5 जनवरी 2010

विखंडित


यह चित्र वर्ष २००० में बनाया गया था । इसमें मैंने एक ऐसे व्यक्तित्व को चित्रित करने की कोशिश की है , जिसके कई चेहरे हैं..वोह नर और मादा से परे ,सिर्फ अपने विखंडित व्यक्तित्व को जीने वाला चरित्र होता है..एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग.....

--- निहार खान

1 टिप्पणी:

Rajeysha ने कहा…

आपने वाकई बेहतर कोशि‍श की है।