रविवार, 30 नवंबर 2008

तुम्हारे साथ के दो पल

आँखें हैं छल छल,चाहें तुम्हारे साथ के दो पल,
यादों के सिलसिले हैं देखो आए दल बदल।
मुस्कुराना चाहे फितरत ही रही आंखों की मेरी,
किसने देखा उनके अन्दर है भरा कितना ही जल।
मैंने बस यादों में तेरी ही तस्वीर को है घर दिया,
कोई भी तूफ़ान इनको कर ना पाया है बेदखल।
दिल मेरा गाता रहा है गीत तेरे प्यार का हरवक्त,
भ्रमर से लेता रहा वो प्यार की हर धुन सरल।
मैं मुसाफिर तुम मुसाफिर और रास्ते चलते गए,
पांव के छाले भी देखो खिल गए हैं ज्यूँ कमल।
नीहार की दुनिया में बस हर तरफ़ है तेरा ज़माल,
दिल में तेरे ख्यालों से है मची जीवन की हलचल।









3 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

मैं मुसाफिर तुम मुसाफिर और रास्ते चलते गए,
पांव के छाले भी देखो खिल गए हैं ज्यूँ कमल।
नीहार की दुनिया में बस हर तरफ़ है तेरा ज़माल,
दिल में तेरे ख्यालों से है मची जीवन की हलचल।
bahut sunder bhaaw hain

mehek ने कहा…

har sher har lafz khubsurat badhai

नीरज गोस्वामी ने कहा…

मुस्कुराना चाहे फितरत ही रही आंखों की मेरी,
किसने देखा उनके अन्दर है भरा कितना ही जल।
बेहद खूबसूरत बात...वाह...
नीरज