बुधवार, 1 अक्टूबर 2008

प्रेम कहानी बुन लूँ

कुछ अपनी सुनाऊ मैं ,कुछ तेरी आ सुन लूँ ।
सपने जो बिखरे हैं उनको,पलकों से आ चुन लूँ।
गीत मधुर गाते हैं हम जो लिखते रहते हैं तुम पर,
धरकन से तेरी मैं आ फ़िर कोई नई नवेली धुन लूँ।
रिमझिम रिमझिम सावन रुत में मन खोजे सजन को,
खुली आँख से सपने देखूं , और एक प्रेम कहानी बुन लूँ।

2 टिप्‍पणियां:

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

रिमझिम रिमझिम सावन रुत में मन खोजे सजन को,
खुली आँख से सपने देखूं , और एक प्रेम कहानी बुन लूँ।

वाह जी वाह पढकर मजा आया बेहतरीन रचना के लिए बधाई

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

गीत मधुर गाते हैं हम जो लिखते रहते हैं तुम पर,
धरकन से तेरी मैं आ फ़िर कोई नई नवेली धुन लूँ।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई