मन मेरा आवारा बादल,घूमे इधर उधर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
इंतज़ार कर कर के आँखें कब की निचुर गयी,
ह्रदय की धमनी धरक धरक कर देखो सिकुर गयी,
न चिठिया न कोई पाती, न ही कोई ख़बर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तुम बिन मेरे जीवन में सब कुछ है मुरझाया सा,
रात अगर बेचैन रही तो दिन भी है बौराया सा,
भूल गया हूँ अपनी मंजिल,खोया हुआ डगर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
चीर वनों की मदमाती गंधों ने तुमको याद किया,
झरनों के कल कल निनाद ने तुमसे है फरियाद किया,
तुम बिन जो मेरा है वो ही उनका भी हुआ हसर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
ठंडी मस्त बयारों ने भी कह दिया मुझको मेरा हाल ,
जीव जंतु सब प्राणी की आंखों से झांके यही सवाल,
कौन है वो शमा जिस पर तू जलता रोज़ भ्रमर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
एक तुम ही मेरे हो अपने बाकी सभी पराये हैं,
कुछ उखरे उखरे से हैं,और कुछ कतराए हैं,
रूठी हुयी हवा है तुम बिन,रूठा हुआ शज़र है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तस्वीरों से दिल बहलाता माजी में मैं जीता हूँ,
यादों के धागों से मैं तो चाक जिगर को सीता हूँ,
तुम बिन जीवन सूना सूना, जैसे कोई कहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
अब तो आ जाओ की मेरे जीवन को श्रृंगार मिले,
चिरियों को मीठी तान और फूलों को फ़िर बहार मिले,
तुमसे ही तो शाम है मेरी, और तुमसे ही हुआ सहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते को कह दूँ सजन इधर है.....
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
इंतज़ार कर कर के आँखें कब की निचुर गयी,
ह्रदय की धमनी धरक धरक कर देखो सिकुर गयी,
न चिठिया न कोई पाती, न ही कोई ख़बर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तुम बिन मेरे जीवन में सब कुछ है मुरझाया सा,
रात अगर बेचैन रही तो दिन भी है बौराया सा,
भूल गया हूँ अपनी मंजिल,खोया हुआ डगर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
चीर वनों की मदमाती गंधों ने तुमको याद किया,
झरनों के कल कल निनाद ने तुमसे है फरियाद किया,
तुम बिन जो मेरा है वो ही उनका भी हुआ हसर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
ठंडी मस्त बयारों ने भी कह दिया मुझको मेरा हाल ,
जीव जंतु सब प्राणी की आंखों से झांके यही सवाल,
कौन है वो शमा जिस पर तू जलता रोज़ भ्रमर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
एक तुम ही मेरे हो अपने बाकी सभी पराये हैं,
कुछ उखरे उखरे से हैं,और कुछ कतराए हैं,
रूठी हुयी हवा है तुम बिन,रूठा हुआ शज़र है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
तस्वीरों से दिल बहलाता माजी में मैं जीता हूँ,
यादों के धागों से मैं तो चाक जिगर को सीता हूँ,
तुम बिन जीवन सूना सूना, जैसे कोई कहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
अब तो आ जाओ की मेरे जीवन को श्रृंगार मिले,
चिरियों को मीठी तान और फूलों को फ़िर बहार मिले,
तुमसे ही तो शाम है मेरी, और तुमसे ही हुआ सहर है,
फूल फूल पत्ते पत्ते को कह दूँ सजन इधर है.....
2 टिप्पणियां:
behatarin.......
अद्भुत रचना!!
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