सोमवार, 11 अगस्त 2008

झुकी नज़रों में इंतज़ार है मेरा,दिल की धडकनों में खुमार है मेरा।
आपके होठों को चूम मीठा हो जाऊं, क्युंकी हुज़ूर आज रविवार है मेरा।
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तेरी आँख में मैं समंदर देखता हूँ,
तुझे हर वक्त मैं अपने अन्दर देखता हूँ।
तू मेरा खुदा है, तू ही मेरा रहबर है ,
तुझमे मैं जिंदगी का मंजर देखता हूँ।
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रेशमी जुल्फों के साए में चाँद फिर छुपने लगा ,
पाखियों के कलरवों में गीत मैं बुनने लगा
तेरे दिल की धड़कने जो गा रही हैं आज कल,
उन मधुर गीतों को मैं प्रेम से सुनने लगा।
तुम खड़ी हो फूल की डाली बनी इस बाग़ में,
मैं तेरी खुशबु में भींगी फूल फिर चुनने लगा।
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चमक रहा है जो मेरी आँख में, वो तो तेरी तस्वीर है।
तू मेरे साथ है ये मेरी किस्मत है और तकदीर है।
तुझसे जीवन में रौशनी है , तू नही तो दिल मेरा हुआ फ़कीर है।
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3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

निहार जी,मुक्तक और गीत बहुत बढिया लिखे हैं।

झुकी नज़रों में इंतज़ार है मेरा,दिल की धडकनों में खुमार है मेरा।
आपके होठों को चूम मीठा हो जाऊं, क्युंकी हुज़ूर आज रविवार है मेरा।

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

bhut sundar. jari rhe.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा, क्या बात है!