बुधवार, 6 अगस्त 2008




तू गुलाब का फूल मैं तेरी खुशबु हूँ जानम,

तू पूनो का चाँद, मैं तेरी छिटकी हुई किरण।

तू है सागर और मैं हूँ उसकी लहर प्रिये,

तू ही बता तेरे बिन अब कैसे कोई जिए।

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मेरे ख्यालों में चाँद उतर आया है,

मेरा प्यार देखो मेरे घर आया है।

सो जाऊं उसकी गोद में सर रख,

ये ख़यालात मेरे जेहन में उभर आया है।

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जिंदगी में तू जबसे आई है,

खुशी ही खुशी मेरे हर तरफ़ छाई ।

मैं आँखें मूँद के भी तुझको देख लेता हूँ,

तू ख्यालों में मेरे लेती सदा अंगडाई है।

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तू मेरा है ये मुझको पता है जानम,

मैं भी हूँ तेरा ये तू भी जानती है।

मैं तेरी धडकनों में बाबस्ता हूँ,

तू मेरे हर आहात को पहचानती है।

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मेरी आफरीन आ तुझे चूम लूँ मैं,

तेरी बाहों के झूले में आ झूम लूँ मैं।

बहुत दिन हुए हमे सितारों की सैर किए,

आ फिर से तेरे संग थोड़ा घूम लूँ मैं.

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तुम्हारी साँसों से मेरी साँसे महक जाती हैं।

तुम्हारी मुस्कान से फूल खिल जाते हैं।

तुम जो प्यार से एक नज़र देखती हो मुझको,

अगल बगल के लोग बिना बात के जल जाते हैं।

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कुछ हवा में घुली खुशबु है तेरी,

कुछ यादों के सिलसिले हैं।

सच कहूँ ऐसा लगता है मुझको,

आप खुदा की नेमत में मिले हैं।

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4 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

कुछ हवा में घुली खुशबु है तेरी,

कुछ यादों के सिलसिले हैं।

अच्छा है यह

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

bahut baDhiaa!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुन्दर, धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढिया.