इमारत तोड़ने की ये साजिशें हैं,
सियासत की यही तो रिवायतें हैं।
गरीब की आँख में तुम देख लो,
वहाँ भी उगी हुयी कुछ चाहतें हैं।
यहाँ हर इन्सान की किस्मत में ,
लिखी कुरान की कुछ आयतें हैं।
मैं अधिकार की करता हूँ बातें,
तुम कहते हो कि ये शिकायतें हैं।
अपने दम बनने का भरम मत रख,
ये सब तेरे माँ बाप की इनायतें हैं।
आज भी हर जगह हमारे देश में,
लड़कियों के लिये ही हिदायतें हैं।
- नीहार
सियासत की यही तो रिवायतें हैं।
गरीब की आँख में तुम देख लो,
वहाँ भी उगी हुयी कुछ चाहतें हैं।
यहाँ हर इन्सान की किस्मत में ,
लिखी कुरान की कुछ आयतें हैं।
मैं अधिकार की करता हूँ बातें,
तुम कहते हो कि ये शिकायतें हैं।
अपने दम बनने का भरम मत रख,
ये सब तेरे माँ बाप की इनायतें हैं।
आज भी हर जगह हमारे देश में,
लड़कियों के लिये ही हिदायतें हैं।
- नीहार
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