बुधवार, 28 जुलाई 2010

स्वप्न फूल सा झर झर जाते,झरनों सा वो कल कल गाते

जब आंसू कतरा दर कतरा टपकेगा,
तब कोई करवट दर करवट बदलेगा।
आंसू के कतरे दिखे न दिखे उनको पर ,
उनका दिल दर्द की हद से गुजरेगा।
जब कोयल को पिया की याद सताएगी,
तब वह छुप छुप विरह के गीत गाएगी।
जब चाँद बादल संग आँख मिचौली खेलेगा ,
उस पल प्यासा मन सावन को तरसेगा ।
दरवाज़े पे हवा सुरीली सीटी जब बजाएगी,
उनके आने की आहट मेरे दर पे आएगी।
****************************************************************************
एक रौशनी का कतरा मेरे भीतर तक उतर गया,
जब से उस माहताब ने मेरे दिल में घर किया।
मेरी प्यास बुझती ही नहीं थी किसी भी पानी से,
बुझ गयी है प्यास जो उनकी आँखों से मैंने पिया।
सुना है आज कल खुदा भी नाराज़ रहता है मुझसे ,
मैंने सुबह सुबह जो उठ के उनका नाम ले लिया।
चन्दन चन्दन भीनी भीनी खुशबु खुशबु बन उस ने,
मेरे जीवन को सात रंग और सात सुरों से सजा दिया।
**********************************************
पत्तियों की सरसराहट जब भी मुझे सुनायी देती है,
ऐसा लगता है हवाएं तेरा नाम फुसफुसा के लेती है।
जब भी आस पास सुनता हूँ तेरी आवाज़ की खनक,
मुझे दूर कहीं मंदिर में बजती मधुर घंटी सुनाई देती है।
रात भर सेहरा पे तुम ऊँगली से लिखते रहे नाम मेरा,
वक़्त की ज़ालिम थपेरें उसे सुबह को मिटाए देती है ।
जब भी मैं महसूसता हूँ बड़ी शिद्दत से खुद में तुमको,
मुझे मौत के साए में भी जैसे एक जिंदगी दिखाई देती है।
बस करीब आके मुझे छू लो तुम ई मेरी जान - ए - अदा ,
तेरे दिल में मेरी धड़कन बस चाहत बन के पनाह लेती है।
**********************************************
स्वप्न फूल सा झर झर जाते, झरनों सा वो कल कल गाते,
छल छल आँखें बहती अविरल , पल पल पी की याद दिलाते।
खन खन मन संगीत खनकाता,झम झम सावन सा बरसाता,
गुन गुन भँवरे गुन्जन करते, फूलों का सब मकरन्द चुराते ।
स्वप्न फूल से झर झर जाते, झरनों सा वो कल कल गाते।।
खिल खिल जाता चाँद सा चेहरा, छंट सा जाता गम का कोहरा,
मन मयूर सा नच नच जाए, पिया का दर्शन जब वो हैं पाते।
स्वप्न फूल सा झर झर जाते, झरनों सा वो कल कल गाते।
-नीहार

3 टिप्‍पणियां:

Ra ने कहा…

sundar prastuti ...abhaar

vandana gupta ने कहा…

bahut sundar rachnaayein.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार