मैं हवा हूँ और चन्दन में घुला जाता हूँ,
बहता हूँ तो जगतों को सुला जाता हूँ।
वक़्त ने मुझको बनाया है कुछ ऐसा ,
की आँख में चुभता हूँ तो रुला जाता हूँ।
मन करता है तो बदली को उड़ा देता हूँ,
मन हो तो फिर मैं उसको बुला लेता हूँ।
बारिश की बूँदें जब भिगो देती है मन को,
में ख्याल बन के सावन में झुला देता हूँ।
1 टिप्पणी:
वक़्त ने मुझको बनाया है कुछ ऐसा ,
की आँख में चुभता हूँ तो रुला जाता हूँ।
"extremly beautifull expresions"
regards
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