सोमवार, 4 जुलाई 2011

प्यार में पगी कविता सी कोई


मेरे सपनो को नया रंग दो,
जीवन भर तुम मेरा संग दो।
पतझड़ में भी रहे जो हरी सी,
मन में मेरी ऐसी उमंग दो।
रहूँ सोचता हर घडी मैं जिसको,
प्यार की वो मीठी तरंग दो।
कागज़ से कोरे इस मन को,
अपने प्यार के रंग से रंग दो।
चन्दन चन्दन महकूँ हरदम,
मेरे जीवन को ऐसी सुगंध दो ।
अमृत बन जो बरसे हरदम ,
मुझे रस पूरित वही मकरंद दो।
मिल ना सका जो अबतक मुझको,
जीवन को ऐसी उमंग दो।
प्यार में पगी कविता सी कोई,
जीवन को तुम नया प्रसंग दो।
-नीहार

4 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

bhut hi pyari touching panktiya hai...

केवल राम ने कहा…

रहूँ सोचता हर घडी मैं जिसको,
प्यार की वो मीठी तरंग दो।
कागज़ से कोरे इस मन को,
अपने प्यार के रंग से रंग दो।

एक नेक और सच्चा आहवान कौन मना करेगा ....सुंदर भावनाएं ...आपका आभार

Amrita Tanmay ने कहा…

भाव भीनी कविता,सुन्दरता से अभिव्यक्त है,प्रवेश करती हुई..सुन्दर रचना

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Sunder Bhavabhivykti...