तुम हो
तुम्हारा ख्याल है ,
और -
चाँद रात है....
जुगनुओं को -
पकड़ने की कोशिश करता ,
मैं -
और मेरे पीछे ,
भागती तुम....
चीड़ों की लम्बी सी कतार,
और -
उसके बीच की,
सर्पीली सी सड़क....
और उसपे -
नंगे पाँव भागते,
हम और तुम....
तुम्हारे होठों को -
चूमती हुयी ,
लचीली गुलमोहर की डाल....
और -
अमलताश के फूलों का,
बिखरा तुम्हारे चेहरे पर-
वो पीला सा गुलाल...
तुम्हारे क़दमों के नीचे ,
बिछा-
जक्रंडा के बैगनी फूलों का,
ख़ूबसूरत गलीचा....
ये मेरा ख्याल है,
या -
बसंत का पदार्पण ...
तुम्हारी साँसों की खुशबु है,
या -
मेरे ही ह्रदय का स्पंदन...
मदमाती सी हवा -
बाजरे की खनक लेकर,
नाच नाच जाती...
मेरी पलकों को ,
तुम्हारे अधरों ने शायद -
चूमा है अभी...
मैं नींद के दरवाज़े ,
ख्वाब की दस्तक सुन रहा।
तुम हो,
तुम्हारा ख्याल है -
और चाँद रात है.....
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आओ -
फिर गीत सुनाएँ तुमको ...
तेरी पिपनियों को ,
सितार के तार कर लूँ...
और -
अपनी उँगलियों को,
कर लूँ मैं मिजराब...
और फिर ,
बैठ जाएँ-
किसी झील में ,
पाँव दिए हम ....
और फिर,
लहरों में फेंकते रहें -
अपने ख्वाब की धुन।
और फिर,
तरंगों को -
अपनी उँगलियों की पोरों से उठा कर,
डाल दूँ तेरी आँख में -
मैं बेसाख्ता...
और फिर मेरी धुन पे,
रक्स कर उठेंगी -
तेरी आँखों के समंदर में,
लहराती शराब...
एक नशा सा,
छा जायेगा हर शू -
हर तरफ ,
जिंदगी धनक ओढ़ के -
नाच जायेगी...
सच कहता हूँ -
की फिर,
रुखसत नहीं लेगी बहार -
जिंदगी को जिंदगी -
मिल जायेगी।
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(महादेवी वर्मा से क्षमा याचना समेत)
जो तुम आ जाते एक बार ....
मन हो जाता सागर अथाह,
हो जाती आसान मेरी ये राह,
झंकृत हो जाता मन का सितार,
जो तुम आ जाते एक बार ....
चांदनी सिक्त होती हरेक रात,
दिन ले आता खुशबु की परात,
जीवन में हर पल होती बहार ,
जो तुम आ जाते एक बार...
खिल जाते हर तरफ शतदल कमल,
हिमखंड भी जाता फिर पिघल पिघल,
प्रकृति फिर कर लेती नव श्रृंगार,
जो तुम आ जाते एक बार....
मन हो जाता यमुना का तीर,
पावन हो जाता मेरा ये शारीर,
बाहें हो जाती कदम्ब की डार,
जो तुम आ जाते एक बार...
7 टिप्पणियां:
तुम्हारा खयाल , जुगनू , चांदनी रात ...
प्रेम पगी बहुत खूबसूरत रचनाएँ !
हर तरफ ,
जिंदगी धनक ओढ़ के -
नाच जायेगी...
सच कहता हूँ -
की फिर,
रुखसत नहीं लेगी बहार -
जिंदगी को जिंदगी -
मिल जायेगी।
बहुत खूबसूरत रचनाये.. प्रकृति का सान्निध्य और किसी का साथ... सुन्दर
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!
मैं नींद के दरवाज़े ,
ख्वाब की दस्तक सुन रहा।
bahut hi badhiyaa... kramwaar teenon rachnayen bhawpurn hain
बहुत संवेदनाशील और प्रभावी पंक्तियाँ ........ प्रेममयी भावों से सजी अभिव्यक्ति
Behad khubsurat rachana.....aapko padhana achchha lagta hai...badhai...
Aapko padhana achchha lagta hai....bahut achchhi lagi rachana..shubhkamna
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