शनिवार, 2 अप्रैल 2011

जिसको भी मैंने छू लिया............

जिसको भी मैंने छू लिया वो हो गया भगवान,

इसलिए मुझसे नहीं अब मिलता कोई इंसान।

लोगों को खाने को मिलती नहीं सूखी कोई रोटी,

मंदिर में ईश्वर पर चढ़े रोज पूरी और पकवान।

मशीन में तब्दील होता जा रहा है हर आदमी,

पैसे की खातिर रखता काक दृष्टि बको ध्यान।

आज के युवा संस्कृति से होते जा रहे हैं दूर,

बड़े बुजुर्गों का वो अब नहीं करते हैं सम्मान।

भाषा अपनी भूल कर हम निजता को रहे भूल,

धर्म जाति में बँट रहा अपना प्यारा हिंदुस्तान।

जीवन का उद्देश्य सभी का बदल गया है आज,

पैसे की खातिर यहाँ बिक रहा रोज़ हर इंसान।

गाँधी के इस देश में नहीं करता कोई उनको याद,

हम सब भी हैं भूल गए उन शहीदों का बलिदान।

संसद से सड़क तक नहीं मिलता कोई भी सच्चा,

जिनके हाथ में शाषण है वे सब के सब बेईमान ।

-नीहार


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11 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

Congrats on INDIAS CRICKET WORLD CUP VICTORY.

mridula pradhan ने कहा…

संसद से सड़क तक नहीं मिलता कोई भी सच्चा,
जिनके हाथ में शाषण है वे सब के सब बेईमान ।
bahut khoob.....

Patali-The-Village ने कहा…

वर्ड कप और नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|

amit kumar srivastava ने कहा…

सच बात...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सच्ची और अच्छी रचना ..

Amrita Tanmay ने कहा…

Ek- ek pankti prabhavi...sandesh sarthak...sundar rachana..aap bhi bahut achchha likhate hain...hame lekhan ke prati sachcha rahna chahiye..rachanaye achchhi hongi hi ...fir kuchh baten samikshak ke liye chhor dena chahiye ...sahi samiksha me lamba samay lagta hai..pata nahi ham yahan ho ya na ho..yu hi likhate rahe ..shubhkamna

बेनामी ने कहा…

सुंदर रचना

Udan Tashtari ने कहा…

ख़ूबसूरत रचना

अजय कुमार ने कहा…

सीधी सच्ची बात

vandana gupta ने कहा…

बिल्कुल सही और सटीक बात कही है…………शानदार्।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi bhawnatmak abhivyakti