मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

आओ कुछ गीत बुनें .....


आओ कुछ गीत बुनें ।

रंगों के मौसम में –

मन के आकाश पटल पे,

साँसों को कूची कर,

रंगो की बरसात करें....

आओ कुछ गीत बुनें

मन को कर निर्झर सा,

तन को कर पाषाण फिर,

व्यथा को कर संगीत सा,

धड़कन की ताल सुनें...

आओ कुछ गीत बुनें ।

बहते रहे हवाओं सा ,

चंदन की ख़ुशबू लिये,

पर्वत दर पर्वत भटक,

सूर्य-किरण मुक्ता चुनें....

आओ कुछ गीत बुनें ।

-    नीहार

3 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

बेहतरीन अभिवयक्ति.....

Amrita Tanmay ने कहा…

इस गीत की धुन बेहद आकर्षक है..

Vijuy Ronjan ने कहा…

हूँ अमृता....यूं ही गुनगुनाते हुये लिखी गयी अभिव्यक्तियाँ अक्सर आकर्षक हो जाती हैं....धन्यवाद...