आखरी मुलाकात
वो मुझसे मिल कर घर गया होगा,
और फिर बिस्तर पे गिर गया होगा।
दिल कब से उसका भरा भरा होगा,
उसने रो कर तकिया भिगोया होगा।
ये मुलाकात आखरी मुलाकात हो शायद ,
यह सोच कर वो चुप हो गया होगा ।
वो जानता है की उसके बिन शायद,
ये शख्स बिलकुल ही मर गया होगा।
देखता रहता है रात दिन उसकी तस्वीर,
उसकी जुल्फों में वो बादल हो गया होगा।
उसके होठों पे रख के उँगलियाँ अपनी,
वो खामोशियों में उसको सुन रहा होगा।
उसे उसकी आदत हो चुकी है अब हर पल,
आवारा सा हर जगह उसे ढूंढ रहा होगा ।
हर एक आहट पे अपने दरवाज़े पे आके ,
शब के सन्नाटों में उसको तलाशता होगा।
वो आएगा ,ज़रूर आएगा फिर लौट कर ,
उसने मन ही मन दिल से ये कहा होगा ।
आँखें उफनती सागर सी हैं उसकी और,
उसमे घुल कर वो काजल सा बह गया होगा,
थरथराते लब से उसका नाम लेकर फिर वो ,
खुद ही उसकी प्रतिध्वनि वो सुन रहा होगा ।
वो जानता है की उसके बिन जी नहीं पायेगा,
जीने के वास्ते यादों के फूल वो चुन रहा होगा।
वो शख्श तेरा दीवाना है अपने ही किस्म का ,
अपनी दीवानगी का किस्सा वो बुन रहा होगा।
12 टिप्पणियां:
आखिरी मुलाकात का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है।
जीने के वास्ते यादों के फूल को चुन कट सहेज कर रखना पड़ता है .उसकी खुशबू को हमेशा नथुनों में महसूस किया जाता है . अच्छा लिखा है. उम्दा , बेहतरीन
dil ko chhuti rachna...
बहुत ही भावपूर्ण रचना.... सारे भावो को एक रचना पिरो दिया आपने...
बहुत खूबसूरत रचना
Bahut kuchh sametati hui sundar rachana
Bahut kuchh sametati hui sundar rachana
आखिरी मुलाकात में भी दूसरे का ख्याल...प्रभावित करने वाला है...
Lagta hai kafi vyst hain .. sab thik to hai na ... aap jald aayen aisi shubhkamna hai hamaari..
आप इतना व्यस्त है कि ब्लॉग पर बिलकुल नहीं आ पाते हैं . कुछ रचना डालिए .आपको भी अच्छा लगेगा .
बहुत ही सटीक और भावपूर्ण रचना। धन्यवाद।
pukar ansuni nahi kar paaya...koshish karunga ki apni rachnadharmita ko nibhata rahun...jagane ke liye shukriya.
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