रुई के फाहे पहने थी -
जब पेड़ों की हर डाल,
मौसम के मिजाज़ की खबर -
मुझको ठंडी हवाओं ने दी।
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बर्फ से जब भाप -
उठती देखा तो ये सोचा मैंने,
उसके सीने में भी-
कोई आग धधकती तो है।
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बस तेरा ख्याल पूनो के चाँद सा -
खिला रहा था रात को....
वरना, जिंदगी में अँधेरे के सिवा -
कुछ भी नहीं...
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यूँ सुलगती है आग,
तेरी यादों की कुछ इस तरह -
जैसे पहाड़ों पे जमे बर्फ,
सूरज की रौशनी में सुलग जाते हैं।
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मैं तुम्हे छूता हूँ ,
तो आग हो जाता हूँ -
वरना, मेरे भीतर कुछ नहीं,
है बस राख के सिवा।
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दीवार पे सर पटक कर,
कह रहा है खुद से वो -
अपने भीतर के सर्प(दर्प) का,
यूँ फन कुचल रहा हूँ मैं।
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सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
- नीहार
22 टिप्पणियां:
bhut khubsurat panktiya...
बेहद खूबसूरत क्षणिकायें।
सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
बहत ही सुन्दर क्षणिकाएं...
Vijay ji ...."Arthpurn khsanikaayen" behad pasand aayei. aapke blog par aakar bahut achha lagaa. Iske liye apka Abhaar.
सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
बहत ही सुन्दर
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
यूँ सुलगती है आग,
तेरी यादों की कुछ इस तरह -
जैसे पहाड़ों पे जमे बर्फ,
सूरज की रौशनी में सुलग जाते हैं।
*******************************bahut hi gahre bhaw, dil ko chhute hue
हर क्षणिका बहुत गहन अर्थों को समेटे हुए ... बहुत अच्छी लगीं
सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
बहुत सुंदर क्षणिकाएं हैं ..!!
गहन अभिव्यक्ति लिए हुए ..!!
badhai.
बस तेरा ख्याल पूनो के चाँद सा -
खिला रहा था रात को....
वरना, जिंदगी में अँधेरे के सिवा -
कुछ भी नहीं...
Beautiful expression !
.
मैं तुम्हे छूता हूँ ,
तो आग हो जाता हूँ -
वरना, मेरे भीतर कुछ नहीं,
है बस राख के सिवा।bahut sunder bhav liye chadikayen.dil ko choo gai.badhaai sweekaren.
please visit my blog .thanks
सभी क्षणिकाएं बेहतरीन हैं !
abhvyakti ka unnat prabodh pyara laga ---
बर्फ से जब भाप -
उठती देखा तो ये सोचा मैंने,
उसके सीने में भी-
कोई आग धधकती तो है।
aabhar .
उम्दा क्षणिकायें...
प्रभावी क्षणिकायें ........
सभी लाजवाब ... और अंत वाली सूरज वाली .... बहुत गहरी बात कह जाती है ....
सभी क्षणिकाएँ अर्थपूर्ण , भावपूर्ण .......सम्प्रेषण क्षमता अप्रतिम
बहुत ख़ूबसूरत क्षणिकायें..
सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
...
बस
वाह वाह वाह...
सूरज हूँ -
धूप उगलता हूँ....
दूसरों की खातिर मैं -
अपनी ही आग में जलता हूँ।
सभी क्षणिकाएं लाजवाब....
प्रत्येक क्षणिका बहुत ध्यान से पढने को बाध्य कर दिया आपने.लाजवाब क्षणिकाएं.
कहीं न कहीं छु गयी दिल को प्रत्येक क्षणिका .अति सार्थक और प्रभावशाली ढंग से भावों को रेखांकित किया है. प्रशंग्सनीय प्रस्तुती..
Aap sabon ko sarahna ke liye shatshah dhanyavaad.
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