बुधवार, 10 नवंबर 2010

कुछ खुशबु जैसी बातें....(१)


तब तक कुछ खुशबु जैसी बातें....कुछ उधरे हुए पल...कुछ अतीत का लिहाफ...और कुछ मन के सूने आँगन में उमर कर लरजते हुए बादल सी यादें...

मेरी हर सोच में तुम हो...हर रोच में तुम...मेरी हर कल्पना में तुम ही हो...मैं जो भी बुनता हूँ वह तुम्हारे ही यादों के धागों से बुना होता है...जो भी चित्र मैं उकेरता हूँ, उसमे रंग तुम्ही से भरता हूँ मैं...मेरी हर शाम पहाड़ से उतरती है बादलों की तरह जिनमे चांदनी के रंग से घुली होती हो तुम...मेरी हर सुबह तुम्हारी पलकों से चुरायी हुयी खुशबु को भर देती है फूलों में और वो खिल से जाते हैं...मेरा जंगल सा मन और देवदार सरीखे वृक्षों की श्रेणी....तुम्हारे साथ से जैसे बोलने लगे हों...गाने लगे हों...उनमे से गुज़रती हुयी हवा मुझे सदायें देती हैं....मुझे पास बुलाती हैं...एक सुरीली सी आवाज़ मुझे कहती है....जाएँ तो जाएँ कहाँ....
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तुमने मुझे बुलाया और मैं आ गया...सर से पाँव तक विस्तृत हो धरती को आकाश ने ढँक लिया... दिशायों की तरह फैले हुए हाथों ने आकाश का छोर थाम रक्खा है...एक चाँद से चेहरे से बादलों का लिहाफ उठा आकाश ने उस चाँद का अमृत पाण किया ....... यूँ आकाश पल पल को जिया।

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तुम्हारी याद है की नशे की तरह मुझ पर छाई रहती है...मैं जो भी पढता हूँ, वहां हर हर्फ़ किताबों के पन्नो से उठकर तुम्हारा अक्स बन जाता है और फिर मेरी आँखों के सामने नाचने लगता है। मैं जो भी लिखता हूँ उनमे तुम ख्वाब के हकीकत की तरह शामिल हो जाती हो...तुम हो , तुम्हारा ख्याल है और चाँद रात है....

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जानती हो, मैं तुम्हे अजंता की भित्तियों मे ढूंढता हूँ...खुसरो की रुबाईयों मे ढूंढता हूँ...चांदनी की बिखरी किरणों मे ढूंढता हूँ...मंदिर मे महकते हुए लोबान की खुशबु मे ढूंढता हूँ....मैं तुम्हे जंगल, पहाड़, वन,फूल,वृक्ष,नदी,आकाश,धरती,समंदर,चाँद,सूरज,धनक,बादल और न जाने कहाँ कहाँ ढूंढता हूँ...मैं तुम्हे हर जगह,हर समय,हर तरफ, हर तरह से ढूंढता हूँ...और पाता हूँ तुम्हे अपने दिल की गहराईयों मे....तुम मेरे दिल मे हो।

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जानती हो राधिके, बस दो आँखें हैं कँवल जैसी, जिनमे लहराता हुआ सागर का विस्तार है...कपोलों की थरथराहट मे मदिरा का शुमार है....पाकीज़ा चाँद से चेहरे से बरसती चांदनी की धार....ये ही हैं मेरे सपने और यही मेरा संसार।

एक मुस्कुराती सी सुबह...एक खिलखिलाता सा दिन...एक मदहोश सी शाम और एक कसमसाती हुयी रात...ये सब मिल कर मेरे जीवन मे प्यार की बरसात करती हैं....तुम हो , तुम्हारा ख्याल है और चाँद रात है...मैं हूँ, मेरी आँखें हैं और आंसुओं की बरसात है।

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2 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

खूबसूरत शब्दों में ढले एहसास ...!

संजय भास्‍कर ने कहा…

... बहुत सुन्दर ... बेहतरीन !