नींद आ रही....
अधखिले पुष्प क़लियों के स्फुरण में -
उनके मुरझा के बंद होने की प्रक्रिया ,
पलकों में दुहराई जा रही.... ।
रात -
तमस की पीड़ा का ,
विषपान करने -
मुझे अपने पास बुला रही ....
वह जानती है कि,
उसकी पीड़ा का -
मैं ही वरण कर सकता हूँ....
उसके दुख का मैं ही हरण कर सकता हूँ।
मैं -
बस अपनी आँखें मूंदता हूँ ,
और -
रात एक ख्वाब कि तरह -
खूबसूरत हो जाती है ।
सुबह -
सूरज कि किरणों पे सवार ,
खुशियाँ आ जाती मेरे द्वार -
तमस कि पीड़ा हो जाती निर्विकार।
- नीहार
अधखिले पुष्प क़लियों के स्फुरण में -
उनके मुरझा के बंद होने की प्रक्रिया ,
पलकों में दुहराई जा रही.... ।
रात -
तमस की पीड़ा का ,
विषपान करने -
मुझे अपने पास बुला रही ....
वह जानती है कि,
उसकी पीड़ा का -
मैं ही वरण कर सकता हूँ....
उसके दुख का मैं ही हरण कर सकता हूँ।
मैं -
बस अपनी आँखें मूंदता हूँ ,
और -
रात एक ख्वाब कि तरह -
खूबसूरत हो जाती है ।
सुबह -
सूरज कि किरणों पे सवार ,
खुशियाँ आ जाती मेरे द्वार -
तमस कि पीड़ा हो जाती निर्विकार।
- नीहार
7 टिप्पणियां:
वाह................
बहुत खूबसूरत ख़याल.............
मैं -
बस अपनी आँखें मूंदता हूँ ,
और -
रात एक ख्वाब कि तरह -
खूबसूरत हो जाती है ।
बहुत सुंदर.....
गहरी अभिव्यक्ति... अति सुंदर
सुबह -
सूरज कि किरणों पे सवार ,
खुशियाँ आ जाती मेरे द्वार -
तमस कि पीड़ा हो जाती निर्विकार।
बहुत सुंदर भाव ...
शुभकामनायें ...!!
आशा का संचार करती अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति
तमस की पीड़ा... सारगर्भित अभिव्यक्ति..
सभी दुखो और कठिनाइयों पर विजय पाना ही जीवन का उद्देश्य है.
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